उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा एक बार फिर विवादों में है। हाल ही में आयोजित स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद राज्यभर में हड़कंप मच गया है।
इस घोटाले ने न केवल आयोग की साख पर सवाल उठाए हैं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य को भी अधर में डाल दिया है।
📅 घटना की समयरेखा
| क्रमांक | तिथि | घटना का विवरण |
|---|---|---|
| 1 | 21 सितम्बर 2025 | परीक्षा के कुछ ही मिनटों बाद प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। |
| 2 | 22 सितम्बर 2025 | छात्रों ने देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी में प्रदर्शन शुरू किया। |
| 3 | 23 सितम्बर 2025 | पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक महिला प्रोफेसर शामिल थी। |
| 4 | 30 सितम्बर 2025 | आयोग ने 5 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा स्थगित कर दी। |
| 1 अक्टूबर 2025 | मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने SIT जांच की घोषणा की। | |
| 3 अक्टूबर 2025 | सरकार ने जांच को CBI के हवाले करने का निर्णय लिया। |
🔍 मुख्य आरोप
- प्रश्नपत्र लीक होना: परीक्षा शुरू होने के तुरंत बाद पेपर सोशल मीडिया पर आ गया।
- पेपर की बिक्री: ₹12–₹15 लाख में प्रश्नपत्र बेचने के आरोप।
- संगठित गिरोह की भूमिका: कुछ शैक्षणिक संस्थान और बिचौलियों की मिलीभगत की आशंका।
- फर्जी प्रमाणपत्र: कुछ उम्मीदवारों द्वारा जाली दस्तावेज़ों का उपयोग।
- सुरक्षा में लापरवाही: परीक्षा केंद्रों पर जैमर और CCTV व्यवस्था का अभाव।
📣 छात्रों की प्रतिक्रिया
- देहरादून, पौड़ी, रुद्रपुर और नैनीताल में हजारों छात्रों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।
- छात्रों ने परीक्षा रद्द करने और CBI जांच की मांग की।
- कई स्थानों पर पुलिस और छात्रों के बीच झड़पें भी हुईं।
- सोशल मीडिया पर “#UKSSSC_Leak” और “#JusticeForStudents” ट्रेंड करने लगे।
🏛️ सरकार और आयोग की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा —
“दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।”
UKSSSC के सचिव ने बयान जारी किया कि —
“हमने आगामी परीक्षाओं की सुरक्षा के लिए नई गाइडलाइन तैयार की है, जिसमें बायोमेट्रिक उपस्थिति, कैमरे, और प्रश्नपत्रों की डिजिटल ट्रैकिंग शामिल है।”
🧾 जांच और कार्रवाई की स्थिति
| संस्था | कार्रवाई |
|---|---|
| SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) | प्रारंभिक जांच शुरू की, कुछ अभ्यर्थियों और आयोग कर्मचारियों से पूछताछ की। |
| CBI जांच | मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। |
| पुलिस | अब तक 9 लोगों की गिरफ्तारी, जिनमें दो सरकारी कर्मचारी भी शामिल। |
| आयोग | परीक्षा स्थगित, नया शेड्यूल जल्द जारी होगा। |
🔒 सुरक्षा उपाय
सरकार ने आगामी परीक्षाओं के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं —
- हर परीक्षा केंद्र पर जैमर और CCTV कैमरे लगेंगे।
- बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से ही अभ्यर्थियों का प्रवेश होगा।
- सभी मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बाहर जमा करवाए जाएंगे।
- परीक्षा केंद्रों पर रात्रि पुलिस निगरानी लागू की जाएगी।
- प्रश्नपत्र एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में भेजे जाएंगे, जो परीक्षा से 30 मिनट पहले ही अनलॉक होंगे।
⚖️ जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया
मीडिया ने इस पूरे मामले को “उत्तराखंड का सबसे बड़ा परीक्षा घोटाला” बताया है।
लोकल अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर लगातार बहस हो रही है कि आयोग को भंग कर नए सिरे से गठन किया जाए।
जनता का कहना है कि —
“अगर परीक्षा में ईमानदारी नहीं होगी, तो युवाओं का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा?”
💡 विश्लेषण
यह विवाद केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
भारत में हर साल लाखों युवा सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएँ उनकी मेहनत पर पानी फेर देती हैं।
अगर सरकार इस बार सख्ती से कार्रवाई नहीं करती, तो भविष्य की परीक्षाओं में भी ऐसा दोहराव हो सकता है।
🧭 आगे की राह
- पारदर्शी भर्ती प्रणाली — पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और सार्वजनिक निगरानी में होनी चाहिए।
- टेक्नोलॉजी आधारित परीक्षा — डिजिटल ट्रैकिंग और लाइव मॉनिटरिंग जरूरी।
- कठोर सजा — दोषियों को आजीवन सरकारी परीक्षा से प्रतिबंधित किया जाए।
- छात्रों से संवाद — उनकी चिंताओं को सुनना और उन्हें आश्वस्त करना जरूरी है।

UKSSSC पेपर लीक विवाद ने उत्तराखंड की परीक्षा प्रणाली को झकझोर कर रख दिया है।
सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश देकर सही दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन असली चुनौती है — विश्वास बहाल करना।
जब तक छात्रों को पारदर्शिता का भरोसा नहीं मिलेगा, तब तक ऐसी घटनाएँ लोकतंत्र के भविष्य पर सवाल उठाती रहेंगी।