भारत सरकार ने हाल ही में ‘स्वदेशी अभियान’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य भारतीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देना और घरेलू उत्पादों की मांग को बढ़ाना है। यह अभियान विशेष रूप से हस्तशिल्प, पारंपरिक वस्त्र और टेक्सटाइल उद्योग के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान को लॉन्च करते हुए कहा:
“भारत की संस्कृति, हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग हमारी पहचान है। स्वदेशी अभियान के माध्यम से हम देश में रोजगार बढ़ाएंगे और स्थानीय कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण देंगे।”
🟢 स्वदेशी अभियान का उद्देश्य
स्वदेशी अभियान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- स्थानीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा
- हस्तशिल्प, सिलाई, कढ़ाई और पारंपरिक वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
- रोजगार सृजन
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
- निर्यात क्षमता में वृद्धि
- भारतीय वस्त्र उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थापित करना।
- ग्रामीण कारीगरों का सशक्तिकरण
- कारीगरों को प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और विपणन के अवसर प्रदान करना।
- स्वदेशी उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ाना
- देशवासियों को भारतीय वस्त्रों के महत्व और गुणवत्ता के प्रति जागरूक करना।
🔵 अभियान की मुख्य योजनाएँ
1️⃣ वित्तीय सहायता और सब्सिडी
- छोटे और मझोले उद्योगों (SMEs) को 50% तक सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- घरेलू वस्त्र व्यापारियों को नई मशीनरी खरीदने और उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
2️⃣ प्रशिक्षण और कौशल विकास
- करीब 100 प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
- कारीगरों को आधुनिक सिलाई तकनीक, डिज़ाइन और विपणन कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा।
3️⃣ डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स
- वस्त्र उत्पादों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रचार और बिक्री के लिए विशेष पहल।
- सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से उत्पादों की पहुँच बढ़ाना।
4️⃣ स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ
- हर साल 10 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वस्त्र प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाएंगी।
- भारतीय वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का अवसर।
🔶 भारतीय वस्त्र उद्योग का महत्व
| क्षेत्र | विवरण |
|---|---|
| रोजगार | भारत में लगभग 45 लाख लोग वस्त्र उद्योग से जुड़े हैं। |
| निर्यात | 2024 में भारतीय वस्त्र निर्यात ₹2.5 लाख करोड़ तक पहुँचा। |
| हस्तशिल्प | ग्रामीण कारीगर और स्थानीय कुटीर उद्योग रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं। |
| सांस्कृतिक पहचान | भारतीय पारंपरिक वस्त्र जैसे साड़ी, खादी, पगड़ी, जरी वर्क, एम्ब्रॉइडरी आदि। |
🟡 अभियान का प्रभाव
स्वदेशी अभियान से निम्नलिखित बदलाव आने की संभावना है:
- स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापार बढ़ेगा।
- कारीगरों का सशक्तिकरण – विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता से आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
- निर्यात में बढ़ोतरी – अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय वस्त्रों की मांग बढ़ेगी।
- रोजगार अवसर – लाखों नौजवानों और महिलाओं को रोजगार मिलेगा।
🔵 विशेषज्ञों की राय
- डॉ. रमा शेट्टी, टेक्सटाइल विशेषज्ञ:
“स्वदेशी अभियान न केवल भारतीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देगा, बल्कि यह कारीगरों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और संस्कृति को जीवित रखने में मदद करेगा।”
- संदीप मेहरा, उद्योगपति:
“सरकार की पहल से छोटे और मझोले उद्योगों को नई दिशा मिलेगी। डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स से वैश्विक बाजार तक पहुंच आसान होगी।”
🟢 स्थानीय प्रभाव
स्वदेशी अभियान का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण कारीगरों और छोटे व्यवसायियों को मिलेगा।
- कच्छ, राजस्थान, बनारस, मणिपुर जैसे राज्य अपनी हस्तशिल्प विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं।
- अभियान के तहत इन क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
🔷 भविष्य की योजना
- अगले 5 वर्षों में 1000 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य।
- नवाचार और डिज़ाइन में निवेश बढ़ाना।
- विदेशी निवेशकों और व्यापारियों के साथ साझेदारी कर भारतीय वस्त्र उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना।

स्वदेशी अभियान न केवल भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए आर्थिक अवसर पैदा करेगा, बल्कि यह देश के रोजगार, संस्कृति और वैश्विक पहचान को भी मजबूत करेगा।
“जब हम अपने कारीगरों और उद्योगों को प्रोत्साहित करते हैं, तभी भारत आत्मनिर्भर और मजबूत बनता है।”