राजस्थान की राजधानी जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल में बीती रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के ICU (इंटेंसिव केयर यूनिट) में अचानक आग लग गई, जिससे 6 मरीजों की मौत हो गई और 5 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
यह घटना देर रात करीब 2:40 बजे के आसपास हुई जब ICU में मौजूद मरीज वेंटिलेटर पर थे। दमकल विभाग की करीब 10 से अधिक गाड़ियाँ मौके पर पहुंची और करीब 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
🔎 आग लगने का कारण क्या था?
प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है।
ICU में कई मशीनें जैसे — वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, मॉनिटरिंग डिवाइस और बिजली के अन्य उपकरण लगातार चल रहे थे। अचानक इलेक्ट्रिकल पैनल से चिंगारी निकली और देखते ही देखते ICU में आग फैल गई।
🔹 विशेषज्ञों के अनुसार:
- शॉर्ट सर्किट पुराने तारों और ओवरलोडेड सर्किट के कारण हुआ।
- ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम से आग तेजी से फैली।
- फायर अलार्म सिस्टम सही से काम नहीं कर पाया, जिससे मरीजों को समय पर बाहर निकालना मुश्किल हो गया।
🚒 बचाव कार्य – दमकल और पुलिस की तत्परता
घटना की जानकारी मिलते ही दमकल विभाग, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे।
लगभग 50 से अधिक फायरमैन ने आग बुझाने का कार्य किया। ICU के अंदर मौजूद मरीजों को स्ट्रेचर और बेड सहित बाहर निकाला गया।
🔹 राहत और बचाव की मुख्य बातें:
| कार्रवाई | विवरण |
|---|---|
| आग लगने का समय | रात 2:40 बजे |
| आग पर नियंत्रण | सुबह 4:30 बजे तक |
| दमकल की गाड़ियाँ | 10 से अधिक |
| मरीजों को निकाला गया | 20+ मरीज |
| मौतें | 6 मरीज |
| गंभीर घायल | 5 मरीज |
| फायर ब्रिगेड स्टाफ | 50+ कर्मी |
😢 चश्मदीदों का बयान
ICU में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि अचानक धुआँ भरने लगा, और पूरे वॉर्ड में अफरा-तफरी मच गई।
कई लोग दरवाज़े तक नहीं पहुँच पाए क्योंकि धुआँ बहुत घना था।
“हमने देखा कि डॉक्टर और नर्स खुद भी धुआँ में फंसे हुए थे। दमकलकर्मी समय पर नहीं आते तो हालात और भयावह हो सकते थे।”
— एक मरीज के परिजन का बयान
🧑⚕️ प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तत्काल उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री जीतेन्द्र गोयल भी मौके पर पहुंचे और घायलों का हालचाल लिया।
🔹 सरकार की घोषणाएँ:
- मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की सहायता राशि
- गंभीर घायलों को ₹2 लाख की आर्थिक मदद
- आग की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित
- अस्पताल में फायर सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य किया गया
⚙️ अस्पताल प्रशासन पर सवाल
यह हादसा अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
ICU जैसे संवेदनशील क्षेत्र में फायर अलार्म, स्प्रिंकलर और फायर एग्जिट का होना अनिवार्य होता है, लेकिन चश्मदीदों के अनुसार, आग लगने के बाद न तो अलार्म बजे और न ही ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर चले।
🔹 संभावित लापरवाहियाँ:
- इलेक्ट्रिकल वायरिंग पुरानी और अनियंत्रित थी।
- फायर सेफ्टी ऑडिट समय पर नहीं कराया गया।
- स्टाफ को इमरजेंसी ड्रिल का प्रशिक्षण नहीं था।
- वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर पास-पास रखे गए थे।
📸 घटनास्थल का माहौल
घटना के बाद पूरे हॉस्पिटल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। परिजन अपने प्रियजनों की खोज में इधर-उधर भागते दिखे।
पुलिस ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया और मीडिया को सीमित प्रवेश दिया गया।
सुबह तक धुएँ की गंध अस्पताल परिसर में महसूस की जा रही थी।
🩺 घायलों का इलाज जारी
गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को SMS हॉस्पिटल के बर्न यूनिट और मेन ICU में शिफ्ट किया गया है।
डॉक्टरों के अनुसार, कुछ मरीजों की हालत नाजुक बनी हुई है।
अस्पताल प्रशासन ने सभी स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं ताकि इलाज में कोई कमी न हो।
🧯 राजस्थान के अन्य अस्पतालों में अलर्ट
इस घटना के बाद जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर सहित राज्य के सभी बड़े अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम की जांच शुरू कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर कहा है कि अगले 7 दिनों में सभी ICU की सुरक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
📜 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
हादसे के बाद #SMSHospital और #JaipurFire ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर नाराज़गी जताई और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
“ICU में मरीज सुरक्षित नहीं, तो आम वार्ड का क्या हाल होगा?”
— एक ट्विटर यूज़र का कमेंट
“ऐसे हादसे बार-बार क्यों? सरकार कब जागेगी?”
— फेसबुक पोस्ट
📊 विशेषज्ञों की राय
फायर सेफ्टी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के कई सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है।
इनमें से 70% में फायर सेफ्टी ऑडिट वर्षों से नहीं हुआ है।
“अगर ICU में ऑटोमेटिक फायर स्प्रिंकलर होता, तो आग इतनी नहीं फैलती।”
— फायर सुरक्षा अधिकारी
🚨 भविष्य के लिए सीख
यह हादसा एक बड़ी चेतावनी है कि स्वास्थ्य संस्थानों को सुरक्षा के मानकों से कोई समझौता नहीं करना चाहिए।
हर अस्पताल में:
- फायर सेफ्टी ऑडिट हर 6 महीने में हो।
- इमरजेंसी ड्रिल हर महीने की जाए।
- ऑक्सीजन लाइनों की नियमित जांच हो।

जयपुर के SMS हॉस्पिटल की यह आग केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि भारत के स्वास्थ्य ढांचे को अब सुरक्षा-केंद्रित सुधारों की सख्त ज़रूरत है।
मृतकों के परिजनों का दर्द कभी भरा नहीं जा सकता, लेकिन यदि इस घटना से सबक लिया जाए तो आने वाले समय में ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।