आगरा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान सोमवार की रात एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ जिसने पूरे शहर और राज्य को झकझोर कर रख दिया। धार्मिक उत्सव की खुशियां अचानक मातम में बदल गईं जब उतंगन नदी में नाव पलटने से आठ लोगों की मौत हो गई और चार लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। यह घटना आगरा जिले के फतेहाबाद क्षेत्र की है, जहां स्थानीय लोग दशहरा के बाद दुर्गा प्रतिमा का पारंपरिक विसर्जन करने पहुंचे थे।
🔹 हादसे की पूरी कहानी
सोमवार शाम करीब 7 बजे के आसपास कई गांवों से लोग प्रतिमाएं लेकर उतंगन नदी किनारे पहुंचे। भीड़ बहुत अधिक थी, और प्रशासन की ओर से सुरक्षा इंतज़ाम अपर्याप्त बताए जा रहे हैं।
जैसे ही एक नाव पर करीब 12-15 लोग सवार होकर प्रतिमा विसर्जन के लिए नदी के बीच पहुंचे, नाव अचानक असंतुलित होकर पलट गई। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग गहरे पानी में डूब गए।
गवाहों के अनुसार, नाव पर जरूरत से ज्यादा लोग सवार थे और प्रतिमा का वजन भी काफी था, जिससे संतुलन बिगड़ गया। आसपास मौजूद लोगों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन अंधेरा और तेज बहाव के कारण राहत कार्य मुश्किल हो गया।
🔹 राहत और बचाव अभियान
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमें मौके पर पहुंचीं। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चला। अब तक 8 शव बरामद किए जा चुके हैं और चार लोग अभी भी लापता हैं।
बचाव दल नावों और गोताखोरों की मदद से लापता लोगों की तलाश में जुटा है। स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में राहत कार्य में मदद कर रहे हैं।
जिलाधिकारी आगरा डॉ. भव्या त्रिपाठी ने बताया कि प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की और राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
🔹 मृतकों की पहचान
प्रशासन ने जिन 8 लोगों के शव बरामद किए हैं, उनमें से छह की पहचान हो चुकी है।
प्रारंभिक सूची इस प्रकार है:
- राजेश कुमार (उम्र 28 वर्ष) – ग्राम धरमपुरा
- सौरभ शर्मा (25 वर्ष) – ग्राम फतेहाबाद
- आशीष चौहान (22 वर्ष) – ग्राम बरसाना
- रवि पाल (19 वर्ष) – ग्राम हाजीरपुर
- संतोष कुमार (35 वर्ष) – ग्राम महुआ खेड़ा
- रामवीर (40 वर्ष) – ग्राम नागरपुर
अन्य दो शवों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।
🔹 प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि प्रतिवर्ष यहां विसर्जन के समय भीड़ रहती है, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम कभी पर्याप्त नहीं होते।
- नदी किनारे कोई सुरक्षा बैरिकेड नहीं लगाए गए थे।
- लाइफ जैकेट और बचाव नौकाएं मौजूद नहीं थीं।
- मौके पर कोई मेडिकल टीम या एंबुलेंस नहीं थी।
इन कमियों के कारण हादसे का आकार बड़ा हो गया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अगर सुरक्षा इंतज़ाम बेहतर होते तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।
🔹 प्रत्यक्षदर्शियों की आंखोंदेखी
गांव के निवासी गजेन्द्र सिंह बताते हैं –
“हम सब विसर्जन देखने आए थे। नाव बीच में पहुंची तो अचानक एक ओर झुकी और कुछ ही सेकंड में पलट गई। महिलाएं और बच्चे चीखने लगे। कुछ लोग तैरकर निकले, लेकिन बाकी सब नीचे चले गए। पुलिस देर से पहुंची, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
इसी तरह रिंकू शर्मा ने कहा –
“हर साल प्रशासन को सूचना दी जाती है कि नदी में गहराई ज्यादा है, पर कोई सुनवाई नहीं होती। इस बार त्योहार की भीड़ में किसी ने खतरे का अंदेशा नहीं किया था।”
🔹 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट किया:
“आगरा में प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई दुर्घटना अत्यंत दुःखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना। राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं।” - अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष) ने कहा कि सरकार को ऐसे आयोजनों के लिए विशेष सुरक्षा नीति बनानी चाहिए।
- प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी घटना पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया:
“धार्मिक आयोजन आनंद का अवसर होते हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही इन्हें त्रासदी में बदल देती है।”
🔹 आगरा प्रशासन की कार्रवाई
जिलाधिकारी और एसएसपी आगरा ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने संबंधित क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक और थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है।
साथ ही, भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए नई गाइडलाइन जारी करने का निर्देश दिया गया है —
- सभी विसर्जन स्थलों पर एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीमें तैनात रहेंगी।
- लाइफ जैकेट और बोट का अनिवार्य प्रावधान किया जाएगा।
- आयोजन समितियों को सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।
🔹 सामाजिक संगठनों की पहल
आगरा के कई सामाजिक संगठनों ने मृतकों के परिवारों की सहायता के लिए फंड जुटाना शुरू किया है।
“आगरा सेवा समिति” ने घोषणा की है कि वे प्रत्येक प्रभावित परिवार को ₹50,000 की सहायता देंगे।
इसके अलावा, लायंस क्लब और रोटरी क्लब ने भी राहत सामग्री और शिक्षा सहायता देने का वादा किया है।
🔹 हादसे के बाद जनभावना
हादसे के बाद पूरा आगरा शोक में डूबा हुआ है। सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन से नाराज़गी जता रहे हैं और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं।
कई युवाओं ने ट्विटर और फेसबुक पर “#AgraTragedy” ट्रेंड चलाकर न्याय और सुरक्षा की मांग की है।
🔹 धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। हर साल देशभर में गणेश, दुर्गा और छठ जैसे त्योहारों पर लाखों लोग नदी या तालाबों में विसर्जन के लिए जाते हैं।
लेकिन ज्यादातर जगहों पर सुरक्षा इंतज़ाम नगण्य होते हैं। अगर इस बार आगरा में पर्याप्त व्यवस्था होती, तो शायद इतनी जानें नहीं जातीं।
सरकार और प्रशासन को अब इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे —
- विसर्जन स्थलों की पूर्व जांच और मंजूरी अनिवार्य की जाए।
- स्थानीय समिति और प्रशासन के बीच समन्वय हो।
- लाइफगार्ड, गोताखोर और मेडिकल टीम पहले से तैनात हों।

आगरा का यह हादसा हमें याद दिलाता है कि आस्था के साथ सुरक्षा भी उतनी ही आवश्यक है।
त्योहारों का उद्देश्य प्रसन्नता और सामूहिक सद्भावना है, न कि जान जोखिम में डालना।
इस त्रासदी से मिली सीख यह है कि हमें अपनी परंपराओं को निभाते हुए जीवन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।