उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत हज़ारों शिक्षकों के लिए यह अक्टूबर का महीना उम्मीदों की जगह चिंता लेकर आया है।
त्योहारों के मौसम में जहाँ आम लोग खुशियों की तैयारी में जुटे हैं, वहीं लगभग 8,000 शिक्षक अपने वेतन न मिलने से परेशान हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले इन शिक्षकों को सितंबर माह का वेतन अब तक जारी नहीं किया गया है।
इस कारण से परिवारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है, और त्योहारी खर्चों पर गहरा असर पड़ा है।
📅 घटना की पृष्ठभूमि
यह मामला उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ा है।
राज्य के कई ज़िलों — लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, अयोध्या, गोंडा, बहराइच, मिर्जापुर और गोरखपुर — में शिक्षकों का सितंबर माह का वेतन 7 अक्टूबर 2025 तक भी जारी नहीं हुआ था।
शिक्षकों के अनुसार, वेतन की प्रक्रिया हर महीने के अंतिम सप्ताह में पूरी हो जाती थी, लेकिन इस बार बजट आवंटन और तकनीकी खामियों के कारण भुगतान अटक गया।
🧾 वेतन न मिलने के कारण
राज्य के शिक्षा अधिकारियों ने इस समस्या के पीछे कई कारण गिनाए हैं:
| क्रमांक | कारण | विवरण |
|---|---|---|
| 1️⃣ | IFMS पोर्टल पर तकनीकी समस्या | फंड ट्रांसफर के दौरान सर्वर बार-बार डाउन हो रहा था। |
| 2️⃣ | बजट अनुमोदन में देरी | वित्त विभाग से सितंबर माह का आवंटन समय पर नहीं मिला। |
| 3️⃣ | पदनाम सत्यापन प्रक्रिया लंबित | कुछ शिक्षकों के प्रमोशन और पद सत्यापन में विलंब हुआ। |
| 4️⃣ | नया पेरोल सिस्टम | राज्य सरकार ने नया वेतन भुगतान सॉफ्टवेयर लागू किया है, जिसकी ट्रेनिंग अभी पूरी नहीं हुई। |
| 5️⃣ | बकाया फंड समायोजन | कुछ ज़िलों में पुराने बकायों की वजह से नया भुगतान रोका गया। |
🧑🏫 प्रभावित शिक्षक
बेसिक शिक्षा परिषद के अनुसार,
- प्राथमिक विद्यालयों के लगभग 5,000 शिक्षक,
- उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 2,000 शिक्षक, और
- कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के करीब 1,000 शिक्षक
वेतन से वंचित हैं।
इनमें से अधिकांश शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जहाँ बैंकों और नेट बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता भी सीमित है।
💬 शिक्षकों की प्रतिक्रियाएँ
लखनऊ जिले के शिक्षक मनोज तिवारी कहते हैं —
“हर महीने हम बच्चों को ईमानदारी से पढ़ाते हैं, लेकिन जब त्योहार पर वेतन नहीं मिलता तो मनोबल टूट जाता है। स्कूल चलाना और घर दोनों मुश्किल हो जाते हैं।”
अयोध्या की शिक्षिका अनीता सिंह बताती हैं —
“बिजली बिल, बच्चों की फीस, और घर का राशन — सब कुछ समय पर देना होता है। सरकार को समझना चाहिए कि शिक्षक भी परिवार चलाते हैं।”
🏛️ शिक्षा विभाग की सफाई
बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने बयान जारी कर कहा —
“किसी भी शिक्षक का वेतन रोका नहीं गया है। कुछ तकनीकी कारणों से भुगतान प्रक्रिया में देरी हुई है। सभी शिक्षकों का वेतन 10 अक्टूबर 2025 तक जारी कर दिया जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि IFMS (Integrated Financial Management System) में किए जा रहे बदलावों के कारण कुछ जिलों की वेतन सूची स्वीकृत नहीं हो सकी थी।
💡 शिक्षक संघ की नाराज़गी
उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने इस मुद्दे पर सरकार को चेतावनी दी है कि यदि भुगतान शीघ्र नहीं हुआ तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
संघ के अध्यक्ष राजेश मिश्र ने कहा —
“जब अधिकारियों को समय पर वेतन मिलता है, तो शिक्षकों को क्यों रोका जाता है? यह शिक्षा व्यवस्था के साथ अन्याय है।”
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ जिलों में अधिकारियों द्वारा जानबूझकर फाइलें रोकी गई हैं ताकि नया सॉफ्टवेयर लागू करने में देरी का हवाला दिया जा सके।
📊 जिलावार स्थिति
| ज़िला | प्रभावित शिक्षकों की संख्या | स्थिति |
|---|---|---|
| लखनऊ | 1,200 | भुगतान लंबित |
| कानपुर | 900 | आंशिक भुगतान हुआ |
| प्रयागराज | 1,000 | सूची अप्रूव नहीं |
| वाराणसी | 700 | तकनीकी कारण |
| गोरखपुर | 800 | फंड स्वीकृति बाकी |
| बहराइच | 600 | डेटा अपलोड लंबित |
| अयोध्या | 700 | प्रक्रिया जारी |
| मिर्जापुर | 500 | सत्यापन लंबित |
| कुल | 8,400 | देरी जारी |
🧮 आर्थिक असर
शिक्षकों के मुताबिक, वेतन न मिलने से उन्होंने
- बच्चों की स्कूल फीस टालनी पड़ी,
- घरेलू खर्च घटाना पड़ा,
- और कई लोगों को कर्ज लेना पड़ा।
त्योहारों के समय, जब परिवारों को अतिरिक्त खर्च की ज़रूरत होती है, तब वेतन न मिलना बेहद निराशाजनक है।
🧠 विशेषज्ञों की राय
शिक्षा नीति विशेषज्ञ डॉ. रवि कुमार का कहना है:
“शिक्षक समाज की नींव होते हैं। यदि उन्हें समय पर भुगतान नहीं होगा, तो शिक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाएगी।”
शिक्षा शोधकर्ता प्रिया अवस्थी कहती हैं —
“बेसिक शिक्षा परिषद को डिजिटल भुगतान प्रणाली को बेहतर बनाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्या न आए।”
💻 नया वेतन पोर्टल क्या है?
सरकार ने सितंबर 2025 से “ShikshaPay” नामक नया पेरोल सॉफ्टवेयर शुरू किया है।
इसमें शिक्षकों के वेतन, बीमा, पेंशन और भविष्य निधि का डेटा ऑनलाइन जोड़ा जाएगा।
लेकिन कई जिलों में यह सिस्टम अभी पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है, जिससे भुगतान प्रक्रिया धीमी पड़ गई।
🏦 सरकार की योजना
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि:
- 10 अक्टूबर तक सभी शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया जाएगा।
- हर जिले में एक “वेतन मॉनिटरिंग सेल” बनाया जाएगा।
- आने वाले महीनों में IFMS और ShikshaPay दोनों को एकीकृत किया जाएगा।
- वेतन में देरी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
📣 विपक्ष का बयान
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर योगी सरकार पर निशाना साधा है।
सपा प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा —
“शिक्षकों से राष्ट्र निर्माण की उम्मीद की जाती है, लेकिन सरकार उन्हें त्यौहारों पर वेतन तक नहीं दे पा रही। यह प्रशासनिक विफलता है।”
वहीं कांग्रेस ने इसे “सरकारी लापरवाही” बताया और शिक्षा मंत्री से इस्तीफ़ा मांगने की बात कही।
📱 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर हैशटैग #TeacherSalaryUP ट्रेंड कर रहा है।
कई शिक्षकों ने अपनी नाराज़गी व्यक्त की —
“सरकार ने Smart UP की बात की, लेकिन Smart Payment कहाँ है?”
“हम पढ़ाते हैं बच्चों को, पर अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे।”
🧾 शिक्षकों की मांगें
1️⃣ वेतन समय पर जारी किया जाए
2️⃣ नया सॉफ्टवेयर पूरी तरह टेस्ट होने के बाद ही लागू किया जाए
3️⃣ देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई
4️⃣ भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नीति बनाई जाए
🧑💼 प्रशासन की तैयारी
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है कि
- 9 अक्टूबर तक भुगतान प्रक्रिया पूरी करें,
- और स्थिति की रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को भेजें।
साथ ही, उन्होंने निर्देश दिया कि भविष्य में हर महीने की 30 तारीख तक सभी शिक्षकों के खाते में वेतन पहुँच जाना चाहिए।
🔍 विश्लेषण
यह घटना बताती है कि डिजिटलीकरण के बावजूद सिस्टम में पारदर्शिता और कुशलता की कमी है।
शिक्षकों को समय पर भुगतान न मिलना न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि मानसिक दबाव भी है।
शिक्षा व्यवस्था तभी मज़बूत होगी जब शिक्षक निश्चिंत होकर पढ़ा पाएँगे —
और इसके लिए आर्थिक सुरक्षा सबसे पहला कदम है।
📊 भविष्य की रूपरेखा
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि नवंबर से:
- सभी वेतन भुगतान ऑटो-ट्रांसफर सिस्टम से होंगे,
- जिलेवार डैशबोर्ड बनेगा,
- और हर स्कूल का डेटा ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाएगा।

त्योहारी सीजन में 8,000 शिक्षकों का वेतन न मिलना उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की कमज़ोर कड़ी को उजागर करता है।
हालाँकि सरकार ने इसे तकनीकी समस्या बताया है, लेकिन शिक्षकों का भरोसा अब “आश्वासन” नहीं बल्कि “कार्यवाही” चाहता है।
जब तक शिक्षक सशक्त नहीं होंगे, तब तक शिक्षा प्रणाली सशक्त नहीं बन सकती।