उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में इस समय चल रहे किसान मेले में एक ऐसी भैंस ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है, जिसका नाम ही काफी है — ‘विधायक’। यह कोई आम भैंस नहीं है, बल्कि इसकी कीमत और कमाई दोनों ही सुनने वालों को दंग कर देती हैं। किसान मेले में आने वाले हर व्यक्ति की जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल है — “आखिर इस भैंस में ऐसा क्या खास है?”
🌾 किसान मेला – नवाचार और परंपरा का संगम
मेरठ की आईएमटी यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित इस सालाना किसान मेले में प्रदेशभर के हज़ारों किसान शामिल हुए हैं। यहां कृषि तकनीक, बीज, उर्वरक, मशीनें और पशुपालन से जुड़े कई स्टॉल लगे हुए हैं।
लेकिन इन सबके बीच सबसे ज़्यादा भीड़ जिस जगह लग रही है, वह है भैंस ‘विधायक’ का बाड़ा।
इस मेला आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसानों को नई तकनीक और उन्नत नस्लों से जोड़ना है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।
🐃 कौन है ‘विधायक’ भैंस?
‘विधायक’ मेरठ जिले के सरधना क्षेत्र के किसान सुबोध कुमार की भैंस है। यह भैंस मुर्राह नस्ल की है — जो भारत की सबसे प्रसिद्ध और उत्पादक नस्ल मानी जाती है।
सुबोध कुमार ने इस भैंस को अपने खेतों में बड़े प्यार से पाला है। उन्होंने बताया कि इस भैंस की देखभाल परिवार के सदस्य की तरह की जाती है — इसे रोजाना विशेष आहार, दाने, हरा चारा, मिनरल मिक्सचर, और फलों से तैयार डाइट दी जाती है।
💰 करोड़ों की कमाई – ‘विधायक’ भैंस की कहानी
इस भैंस की असली पहचान इसकी कमाई से जुड़ी है।
‘विधायक’ अब तक अपने वीर्य (सीमन) की बिक्री से लगभग 8 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है।
इसका सीमन देशभर के डेयरी किसानों में बेहद लोकप्रिय है क्योंकि इससे पैदा होने वाली संतति (बछड़े और बछड़ियां) दूध उत्पादन में बहुत आगे होती हैं।
प्रति डोज की कीमत 2000 रुपये तक जाती है और इसकी मांग हर राज्य में है — हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक।
🧬 आनुवंशिक गुणवत्ता (Genetic Quality) ने बनाया सुपरस्टार
‘विधायक’ की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह इसका आनुवंशिक गुण है।
यह भैंस मुर्राह और निली-रवि नस्ल के मिश्रण से विकसित हुई है।
इसकी शरीर संरचना मजबूत, चौड़ा छाती क्षेत्र, और लंबी पूंछ इसे अन्य भैंसों से अलग बनाती है।
इस भैंस की ऊंचाई लगभग 5 फीट 8 इंच, और वजन 850 किलोग्राम के करीब है।
इसका दूध उत्पादन भी शानदार है — एक बार में 18 से 20 लीटर तक दूध देती है। दूध में फैट कंटेंट 8 से 9 प्रतिशत तक रहता है, जो बाज़ार में प्रीमियम रेट पर बिकता है।
🧑🌾 किसान सुबोध कुमार की मेहनत और लगन
सुबोध कुमार बताते हैं कि उन्होंने बचपन से पशुपालन को व्यवसाय नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा माना।
उनका कहना है,
“हमारी गाय-भैंसें हमारे परिवार के सदस्य हैं। अगर आप उन्हें प्यार और सही खानपान देंगे तो वे आपको उसी का कई गुना लौटाती हैं।”
वह रोज सुबह 4 बजे उठकर ‘विधायक’ की देखभाल खुद करते हैं।
हर दिन इसे 10 किलो सूखा चारा, 15 किलो हरा चारा, और विशेष प्रोटीन फीड दी जाती है।
साथ ही इसे नहलाने के लिए गर्म पानी और मसाज के लिए सरसों का तेल उपयोग होता है।
🧫 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सफलता
मेरठ के पशु चिकित्सक डॉ. आर.पी. सिंह बताते हैं कि ‘विधायक’ एक सुपर जेनेटिक भैंस है।
उन्होंने कहा:
“इस भैंस के वीर्य से पैदा हुए बछड़े दूध उत्पादन में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे पशु हमारे देश की डेयरी क्रांति को और गति दे सकते हैं।”
कृषि विश्वविद्यालयों और डेयरी संस्थानों ने भी ‘विधायक’ के जीन को अध्ययन के लिए नमूने के रूप में मांगा है।
🌟 किसान मेले में लोकप्रियता का आलम
मेले में आने वाले बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई इस भैंस के साथ फोटो खिंचवाना चाहता है।
लोग कहते हैं,
“अगर नेता विधायक लाखों में कमाते हैं, तो यह ‘विधायक’ करोड़ों में कमाती है!”
मेले के आयोजकों ने इसके लिए अलग सेक्शन बनाया है। इसके पास CCTV कैमरे, सुरक्षा गार्ड और चिकित्सा स्टाफ हमेशा मौजूद रहते हैं।
🏆 पुरस्कार और उपलब्धियां
- 2022 में – राष्ट्रीय डेयरी शो, करनाल (हरियाणा) में “बेस्ट मुर्राह ब्रीड” का अवॉर्ड
- 2023 में – उत्तर प्रदेश कृषि मेले में “सर्वश्रेष्ठ दुग्ध उत्पादन पशु” सम्मान
- 2024 में – भारत पशुधन सम्मेलन, दिल्ली में “सुपर जीन पुरस्कार”
- 2025 में – मेरठ किसान मेले में “लोगों का चहेता पशु” का खिताब
📊 ‘विधायक’ की कमाई का हिसाब (सारणी रूप में)
| विवरण | आँकड़े |
|---|---|
| दूध उत्पादन | 18-20 लीटर प्रतिदिन |
| दूध में फैट प्रतिशत | 8-9% |
| वजन | लगभग 850 किलो |
| वीर्य डोज की कीमत | ₹2000 |
| अब तक बेचे गए डोज | लगभग 4 लाख |
| कुल आय | ₹8 करोड़ से अधिक |
| आय का उपयोग | डेयरी विस्तार, नई नस्लें विकसित करना, मजदूरों की आय बढ़ाना |
🧭 किसानों के लिए प्रेरणा
‘विधायक’ सिर्फ एक भैंस नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण विकास और पशुपालन क्रांति का प्रतीक बन चुकी है।
इसने यह साबित किया कि अगर किसान तकनीक, पोषण और सही नस्ल प्रबंधन पर ध्यान दे, तो पशुपालन भी लाखों नहीं, करोड़ों की आय दे सकता है।
🗣️ विशेषज्ञों की राय
डॉ. मीना सिंह (पशु वैज्ञानिक, मेरठ कृषि विश्वविद्यालय) कहती हैं:
“पशुपालन में उन्नत नस्लों का प्रयोग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। ‘विधायक’ जैसे उदाहरण दिखाते हैं कि किसान अब आत्मनिर्भर भारत की असली रीढ़ हैं।”
किसान मेले में ‘विधायक’ भैंस सिर्फ एक आकर्षण नहीं, बल्कि मेहनत, लगन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मिसाल है।
आज यह भैंस उत्तर प्रदेश के पशुपालकों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
सुबोध कुमार जैसे किसान दिखा रहे हैं कि गांवों में भी करोड़ों की कमाई संभव है, अगर हम आधुनिक कृषि और पशुपालन को अपनाएं।

🏁 अंतिम संदेश
अगर हर किसान अपने पशु की देखभाल और नस्ल सुधार पर ध्यान दे, तो भारत में दूध उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है।
‘विधायक’ इस दिशा में एक जिंदा उदाहरण है — जो बताती है कि मेहनत और प्यार से कोई भी भैंस ‘विधायक’ बन सकती है।