बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। शनिवार को हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात ने न सिर्फ राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, बल्कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर भी चर्चाओं को तेज कर दिया है।
🗓️ मुलाकात का समय और स्थान
यह मुलाकात दिल्ली स्थित जेपी नड्डा के आवास पर हुई। सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात लगभग 45 मिनट तक चली, जिसमें दोनों नेताओं ने बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, संभावित गठबंधन, और चुनावी रणनीति पर चर्चा की।
🔍 राजनीतिक पृष्ठभूमि
जीतनराम मांझी बिहार के अनुभवी नेता हैं और राज्य के दलित वर्ग में उनकी गहरी पकड़ है। उन्होंने 2015 में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की स्थापना की थी।
वर्तमान में मांझी एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन वे अक्सर अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं — कभी बीजेपी के साथ तो कभी अलग रुख अपनाते हुए।
🗣️ मुलाकात में क्या हुआ – अंदर की बात
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर बातचीत हुई:
- बिहार NDA की सीटों का बंटवारा
मांझी की पार्टी “हम” को विधानसभा चुनाव में कितनी सीटें दी जाएंगी, इस पर शुरुआती बातचीत हुई। - दलित वोट बैंक की रणनीति
बीजेपी चाहती है कि मांझी NDA के साथ मजबूत तरीके से बने रहें ताकि दलित वोट बैंक में सेंध न लगे। - तेजस्वी यादव और महागठबंधन की चुनौती
विपक्षी गठबंधन (RJD, कांग्रेस, और वाम दल) से निपटने के लिए रणनीति तैयार की गई। - पीएम मोदी के नेतृत्व में 2025 का चुनाव
चर्चा इस बात पर भी हुई कि कैसे मोदी लहर का फायदा बिहार में भी उठाया जा सकता है।
🧩 मुलाकात का राजनीतिक संदेश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी का दिल्ली जाकर जेपी नड्डा से मिलना एक “संदेशपूर्ण कदम” है।
यह साफ संकेत है कि मांझी आने वाले चुनाव में बीजेपी के साथ मजबूत गठबंधन चाहते हैं और राजनीतिक सौदेबाज़ी की स्थिति को अपने पक्ष में बनाना चाहते हैं।
⚙️ क्या यह गठबंधन की मजबूती का संकेत है?
बिहार की राजनीति में NDA में कई छोटे दल हैं — HAM, LJP (रामविलास), RLSP, और JDU।
बीजेपी चाहती है कि ये सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ें ताकि महागठबंधन को चुनौती दी जा सके।
मांझी की भूमिका इस गठबंधन में दलित चेहरे के तौर पर बेहद अहम है, और यही वजह है कि बीजेपी उन्हें अपने साथ बनाए रखना चाहती है।
🧭 पिछले बयानों से जुड़ी पृष्ठभूमि
मांझी ने हाल ही में बयान दिया था कि “हम किसी का पिछलग्गू नहीं बनना चाहते, हमारी पार्टी की अपनी ताकत है।”
इस बयान ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या मांझी NDA से नाराज़ हैं?
लेकिन जेपी नड्डा से मुलाकात ने इन तमाम अटकलों पर फिलहाल विराम लगा दिया है।
🕊️ मुलाकात के बाद मांझी का बयान
मुलाकात के बाद जीतनराम मांझी ने मीडिया से कहा:
“हमने जेपी नड्डा जी से बिहार की स्थिति और जनता के मुद्दों पर चर्चा की है। हमारा मकसद है कि राज्य में स्थिर सरकार बने और विकास को गति मिले।”
उनके इस बयान से यह भी संकेत मिलता है कि हम और बीजेपी के बीच कोई मनमुटाव नहीं, बल्कि रिश्ते पहले से मजबूत हैं।
🧠 राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मांझी की यह मुलाकात केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि रणनीतिक कदम है।
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले वे अपनी प्रासंगिकता और भूमिका मजबूत करना चाहते हैं।
प्रो. अशोक कुमार, जो पटना यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग में प्राध्यापक हैं, कहते हैं —
“मांझी जानते हैं कि बिहार की राजनीति में उनका महत्व दलित नेतृत्व के रूप में है। बीजेपी इस कार्ड को खोना नहीं चाहेगी।”
🌐 NDA और महागठबंधन के बीच मुकाबला
2025 में बिहार में एक बार फिर NDA बनाम महागठबंधन का मुकाबला तय माना जा रहा है।
- NDA में – बीजेपी, जेडीयू, हम, और अन्य छोटे दल
- महागठबंधन में – राजद, कांग्रेस, वाम दल
इस मुलाकात के बाद स्पष्ट है कि NDA गठबंधन की एकता पर जोर दे रहा है।
🧩 महागठबंधन की नजरें भी मांझी पर
राजद (RJD) और कांग्रेस दोनों ही मांझी को NDA से तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।
दलित वोट बैंक को अपनी ओर खींचना हर पार्टी की प्राथमिकता है।
लेकिन मांझी ने इस मुलाकात से साफ संदेश दिया है कि उनकी प्राथमिकता फिलहाल NDA के साथ रहना है।
🗳️ बिहार चुनाव 2025 की दिशा
बिहार में चुनाव अगले साल होने हैं, और अब सभी दल अपनी रणनीतियों पर काम शुरू कर चुके हैं।
जेपी नड्डा और मांझी की मुलाकात इस बात का संकेत है कि बीजेपी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती।
हर क्षेत्रीय दल को साथ लेकर चलना ही उनका मुख्य फोकस है।
💬 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस मुलाकात को लेकर जबरदस्त चर्चा है —
कई यूजर्स ने लिखा, “अब बिहार में फिर से NDA की सरकार पक्की!”,
जबकि कुछ ने कहा, “मांझी की मुलाकात में छिपा है बड़ा सियासी संदेश।”
📈 निष्कर्ष
दिल्ली में हुई यह मुलाकात बिहार की राजनीति में एक बड़ा संकेत है।
जेपी नड्डा और जीतनराम मांझी दोनों ही जानते हैं कि आने वाले चुनाव में हर वोट की अहमियत है।
दलित वोट बैंक को साधने के लिए यह मीटिंग एक सियासी रणनीति के तहत की गई है।
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो बिहार में NDA एक बार फिर एकजुट होकर मैदान में उतरने को तैयार दिखेगा।
और जीतनराम मांझी इस गठबंधन में एक मुख्य स्तंभ के रूप में उभर सकते हैं।
🔖 निष्कर्ष में मुख्य बिंदु (सारांश)
| क्रमांक | मुद्दा | विवरण |
|---|---|---|
| 1 | मुलाकात का स्थान | दिल्ली में जेपी नड्डा का आवास |
| 2 | समय | लगभग 45 मिनट |
| 3 | प्रमुख विषय | सीट बंटवारा, दलित वोट बैंक, चुनाव रणनीति |
| 4 | राजनीतिक संदेश | NDA की एकता और मांझी की भूमिका |
| 5 | अगला कदम | बिहार चुनाव 2025 के लिए सीटों की घोषणा |

🗞️ निष्कर्ष वाक्य
“राजनीति में कोई मुलाकात यूं ही नहीं होती। जेपी नड्डा और जीतनराम मांझी की यह मुलाकात बिहार की राजनीति की दिशा और दशा दोनों तय कर सकती है।”