बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बनी अनिश्चितता आखिरकार खत्म हो गई।
अब यह आधिकारिक रूप से तय हो गया है कि जीतनराम मांझी की पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इस समझौते ने जहां NDA के भीतर सियासी संतुलन को मजबूती दी है, वहीं विपक्षी खेमे में हलचल भी तेज हो गई है।
🗓️ बैठक का विवरण: दिल्ली में हुई अहम मुलाकात
यह सीट शेयरिंग समझौता दिल्ली में जेपी नड्डा के आवास पर हुई NDA की कोर कमेटी मीटिंग के बाद सामने आया।
बैठक में शामिल प्रमुख नेता थे:
- जेपी नड्डा (BJP अध्यक्ष)
- जीतनराम मांझी (HAM प्रमुख)
- संजय जायसवाल (BJP बिहार प्रभारी)
- नित्यानंद राय (केंद्रीय मंत्री)
बैठक करीब एक घंटे चली, जिसमें सीट बंटवारे पर गहन चर्चा हुई।
अंततः सर्वसम्मति से तय किया गया कि HAM को 6 सीटें दी जाएंगी।
🧩 सीट शेयरिंग का फॉर्मूला — NDA में संतुलन की राजनीति
BJP और JDU के बीच पहले से ही सीटों का मोटा-मोटी बंटवारा तय था।
HAM की मांग थी कि उन्हें कम से कम 8 सीटें दी जाएं, लेकिन अंततः 6 सीटों पर समझौता हुआ।
जानकारी के अनुसार, HAM को जिन 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है, वे हैं:
- मखदूमपुर (जहानाबाद)
- गया टाउन
- इमामगंज (SC)
- कुर्था (अरवल)
- रफीगंज (औरंगाबाद)
- सासाराम ग्रामीण (SC)
इनमें से अधिकांश सीटें दलित और महादलित बहुल क्षेत्रों में आती हैं, जहाँ मांझी का गहरा प्रभाव माना जाता है।
🗣️ जीतनराम मांझी का बयान
समझौते के बाद मीडिया से बातचीत में जीतनराम मांझी ने कहा —
“हमने NDA नेतृत्व से जो उम्मीद की थी, वह पूरी हुई है। हमारी पार्टी विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA को बिहार में फिर से मजबूत बनाएगी।”
मांझी ने यह भी कहा कि यह निर्णय दलित समाज की राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
🧠 BJP की रणनीति — क्यों मांझी जरूरी हैं NDA के लिए
दलित और महादलित वोट बैंक बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
BJP समझती है कि अगर इस वर्ग का समर्थन NDA के साथ बना रहता है, तो 2025 के चुनाव में जीत आसान होगी।
इसलिए मांझी को साथ रखना बीजेपी के लिए राजनीतिक मजबूरी नहीं, बल्कि रणनीतिक आवश्यकता है।
मांझी का अनुभव, छवि और संगठनात्मक ढांचा बीजेपी के लिए ग्राउंड लेवल पर बड़ी ताकत साबित हो सकता है।
🧭 जेडीयू की भूमिका और नीतीश कुमार का रुख
नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के बीच रिश्ते पहले भी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं।
हालांकि हाल की बैठकों में नीतीश ने स्पष्ट कहा है कि “NDA को एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए।”
JDU ने भी HAM के 6 सीटों के समझौते पर सहमति जताई है।
इससे यह साफ संकेत मिला कि नीतीश कुमार और मांझी के बीच कोई मतभेद नहीं, बल्कि एक साझा रणनीति पर काम हो रहा है।
📉 महागठबंधन के लिए झटका
HAM के NDA में बने रहने और सीट शेयरिंग के स्पष्ट हो जाने के बाद,
राजद (RJD) और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।
महागठबंधन यह उम्मीद कर रहा था कि मांझी NDA से नाराज़ होकर उनकी ओर रुख करेंगे,
लेकिन अब यह संभावना लगभग खत्म हो चुकी है।
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा —
“मांझी जी ने फिर से वही किया जो वे हर चुनाव में करते हैं — आखिरी वक्त पर NDA के साथ खड़े हो गए।”
⚙️ HAM के उम्मीदवारों की संभावित सूची
हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार,
HAM जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है, उनमें संभावित नाम हैं:
| क्रमांक | उम्मीदवार का नाम | विधानसभा क्षेत्र |
|---|---|---|
| 1 | डॉ. संतोष मांझी | गया टाउन |
| 2 | सुनीता देवी | इमामगंज |
| 3 | प्रमोद कुमार | रफीगंज |
| 4 | राजेश मांझी | कुर्था |
| 5 | ललन पासवान | मखदूमपुर |
| 6 | शोभा देवी | सासाराम ग्रामीण |
📊 2020 के विधानसभा चुनाव में HAM का प्रदर्शन
| वर्ष | कुल सीटें लड़ीं | जीती गई सीटें | वोट प्रतिशत |
|---|---|---|---|
| 2015 | 21 | 1 | 2.3% |
| 2020 | 7 | 4 | 3.5% |
यह दिखाता है कि HAM भले ही छोटी पार्टी हो, लेकिन उसके पास एक स्थायी वोट बैंक है, जो किसी भी गठबंधन के लिए अहम साबित हो सकता है।
🧩 NDA की चुनावी तैयारियां तेज
अब जब सीट शेयरिंग का विवाद सुलझ गया है, NDA में चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं।
बीजेपी, JDU, HAM, और लोजपा (रामविलास) मिलकर संयुक्त चुनाव अभियान शुरू करने जा रही हैं।
पहला संयुक्त जनसभा कार्यक्रम पटना और गया जिले में आयोजित किया जाएगा।
जेपी नड्डा ने अपने बयान में कहा —
“NDA एक परिवार है। हम सब एकजुट होकर बिहार के विकास के लिए चुनाव लड़ेंगे।”
💬 HAM की चुनावी रणनीति – ‘दलित सम्मान यात्रा’
HAM अब “दलित सम्मान यात्रा” के जरिए राज्यभर में प्रचार करने की योजना बना रही है।
इस यात्रा के तहत मांझी और उनकी टीम गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद करेंगे और NDA की योजनाओं की जानकारी देंगे।
इससे पार्टी का ग्राउंड कनेक्शन और मजबूत होगा, और NDA के लिए महादलित वोटों का समेकन आसान होगा।
📈 राजनीतिक विश्लेषण – NDA में स्थिरता का संकेत
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता NDA के अंदर स्थिरता और सामंजस्य का संकेत है।
2020 के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा था कि क्या NDA छोटे दलों को साथ रख पाएगा।
अब यह साफ हो गया है कि बीजेपी नेतृत्व हर सहयोगी दल को सम्मान दे रहा है।
पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद मिश्रा कहते हैं —
“HAM को 6 सीटें देना सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक महत्व रखता है — यह दिखाता है कि NDA सामाजिक समावेश की राजनीति को लेकर गंभीर है।”
⚖️ महागठबंधन का पलटवार
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा —
“बीजेपी सिर्फ दलितों को वोट बैंक की तरह देखती है। मांझी जी को 6 सीटें देकर उनका सम्मान नहीं, बल्कि सीमांकन किया गया है।”
कांग्रेस ने भी बयान जारी किया कि NDA सिर्फ सत्ता के लिए छोटे दलों का इस्तेमाल करता है।
📢 NDA की प्रतिक्रिया
इस पर BJP प्रवक्ता ने कहा —
“हमारे लिए हर सहयोगी बराबर है। मांझी जी हमारे परिवार के सदस्य हैं और उनका योगदान हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा।”
🗳️ 2025 चुनाव का समीकरण
अब जबकि NDA में सीट बंटवारा लगभग तय हो गया है,
बिहार चुनाव 2025 का मुख्य मुकाबला इस तरह दिख रहा है:
| गठबंधन | प्रमुख नेता | संभावित सीटें |
|---|---|---|
| NDA | मोदी – नीतीश – मांझी | 243 |
| महागठबंधन | तेजस्वी – खड़गे – प्रियंका | 243 |
इससे साफ है कि दोनों गठबंधन अब मैदान में उतरने को तैयार हैं।
📺 सोशल मीडिया पर चर्चाएं
HAM और NDA के समझौते के बाद सोशल मीडिया पर खूब प्रतिक्रियाएं आईं:
- “मांझी NDA में रहे तो दलित वोट बिखरेंगे नहीं।”
- “6 सीटों पर समझौता मांझी की जीत है।”
- “NDA का दलित चेहरा मजबूत।”
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🌐 निष्कर्ष – NDA को मिली सियासी राहत
HAM और NDA के बीच यह समझौता सिर्फ सीट शेयरिंग नहीं, बल्कि राजनीतिक विश्वास का करार है।
अब NDA के भीतर स्थिरता दिख रही है और महागठबंधन के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
“राजनीति में संतुलन ही सफलता की कुंजी है — और NDA ने यह दिखा दिया कि छोटे दलों का सम्मान करके बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।”

🧾 मुख्य बिंदुओं का सारांश (Table Form में)
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| गठबंधन | NDA – HAM |
| तय सीटें | 6 |
| प्रमुख क्षेत्र | गया, औरंगाबाद, अरवल, सासाराम |
| प्रमुख मुद्दे | दलित सशक्तिकरण, विकास |
| राजनीतिक प्रभाव | NDA में एकता मजबूत |
| विपक्ष पर असर | महागठबंधन को झटका |