पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव देखने को मिला।
भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी को पुलिस ने उस समय रोक दिया जब वह एक गैंगरेप पीड़िता से मिलने जा रही थीं।
यह घटना राज्य के बीरभूम जिले की है, जहां हाल ही में गैंगरेप की एक दर्दनाक वारदात सामने आई थी।
लॉकेट चटर्जी का कहना है कि सरकार अपराधियों को बचा रही है और विपक्ष के नेताओं की आवाज़ दबाने की कोशिश हो रही है।
⚡ घटना का पूरा विवरण
भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी शनिवार सुबह अपनी टीम के साथ बीरभूम जिले के उस गाँव की ओर रवाना हुईं
जहाँ गैंगरेप की पीड़िता अपने परिवार के साथ रह रही है।
जैसे ही उनका काफिला जिले की सीमा में पहुँचा,
पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रास्ता रोक दिया।
इस पर लॉकेट चटर्जी और भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा —
“हम केवल पीड़िता से मिलकर उसका हाल जानना चाहते हैं,
लेकिन सरकार चाहती है कि सच्चाई बाहर न आए।”
🚫 पुलिस का पक्ष
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि
भाजपा सांसद को इसलिए रोका गया क्योंकि क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
प्रशासन ने दावा किया कि
“स्थिति को नियंत्रण में रखने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए
एहतियातन यह कदम उठाया गया।”
पुलिस ने यह भी बताया कि
पीड़िता के परिवार ने फिलहाल किसी भी राजनैतिक प्रतिनिधि से मिलने से इनकार किया है।
🗣️ लॉकेट चटर्जी का आरोप
लॉकेट चटर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
“यह शर्मनाक है कि पश्चिम बंगाल में एक महिला सांसद को दूसरी महिला से मिलने नहीं दिया जा रहा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार अपराधियों को बचाने में लगी है और
विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर उन्हें मिलने नहीं दिया गया,
तो वह राज्यभर में विरोध आंदोलन शुरू करेंगी।
🔥 भाजपा का राज्यव्यापी विरोध
इस घटना के बाद भाजपा ने पूरे राज्य में
“महिला सुरक्षा सप्ताह” के तहत प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा —
“बंगाल में महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ रहे हैं,
और सरकार अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दे रही है।”
राज्यभर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने
कोलकाता, आसनसोल, और दुर्गापुर में विरोध प्रदर्शन किया।
⚖️ घटना की पृष्ठभूमि: गैंगरेप का मामला
यह मामला बीरभूम जिले के एक छोटे से गाँव का है,
जहाँ 20 वर्षीय युवती के साथ तीन युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था।
घटना के बाद परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी,
लेकिन आरोप है कि एफआईआर दर्ज करने में देरी की गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि
आरोपी सत्ताधारी पार्टी के समर्थक हैं,
इसलिए पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
👩⚖️ पीड़िता की स्थिति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,
पीड़िता को गंभीर हालत में सूरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अब उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
हालांकि, परिवार अभी भी डर के माहौल में जी रहा है।
परिवार ने कहा —
“हम पर दबाव बनाया जा रहा है कि हम केस वापस ले लें।
लेकिन हम न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।”
🔎 एनसीडब्ल्यू और मानवाधिकार आयोग की नज़र
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी इस घटना पर कड़ा संज्ञान लिया है।
आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस से
72 घंटे के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
साथ ही, मानवाधिकार आयोग ने भी
राज्य सरकार को निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं।
📣 राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़
जहाँ भाजपा इस घटना को लेकर ममता सरकार पर हमलावर है,
वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे “राजनीतिक नौटंकी” बताया है।
टीएमसी प्रवक्ता ने कहा —
“भाजपा हर घटना को राजनीति का हथियार बना रही है।
अगर पुलिस ने सुरक्षा कारणों से रोका है,
तो इसमें राजनीति देखने की ज़रूरत नहीं।”
🧭 जनता की प्रतिक्रिया – सोशल मीडिया पर उबाल
सोशल मीडिया पर यह मामला ट्रेंड में है।
ट्विटर (X) पर हैशटैग #LocketChatterjee, #BengalCrime, और #JusticeForVictim
तेज़ी से फैल रहे हैं।
लोग सवाल उठा रहे हैं —
“आख़िर कब तक बंगाल में महिलाओं के साथ अत्याचार होते रहेंगे?”
“क्या पीड़िता से मिलने का हक़ भी छीन लिया गया?”
🕵️ बंगाल में बढ़ते अपराध के आँकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार,
पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में
पिछले 3 वर्षों में 25% की वृद्धि हुई है।
| वर्ष | कुल मामले | दुष्कर्म के मामले | दोषसिद्धि दर |
|---|---|---|---|
| 2022 | 36,000 | 2,900 | 12% |
| 2023 | 38,200 | 3,400 | 10% |
| 2024 | 41,500 | 3,850 | 9% |
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि
राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है।
🧩 लॉकेट चटर्जी कौन हैं?
लॉकेट चटर्जी हुगली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं।
वह एक जानी-मानी अभिनेत्री भी रह चुकी हैं और
महिला अधिकारों के मुद्दों पर खुलकर बोलती रही हैं।
उन्होंने पहले भी बंगाल सरकार पर महिला सुरक्षा को लेकर विफलता का आरोप लगाया था।
🗳️ राजनीतिक निहितार्थ
यह घटना आगामी पंचायत और लोकसभा चुनावों के संदर्भ में
राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है।
भाजपा इसे ममता सरकार के “महिला विरोधी रवैये” के सबूत के रूप में पेश कर रही है,
जबकि टीएमसी इसे “सस्ता प्रचार” बता रही है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि
“यह मामला आने वाले चुनावों में महिलाओं के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।”
🏛️ विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और सीपीएम ने भी इस मामले में
राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा —
“बंगाल में अब पुलिस राजनीतिक आदेशों पर काम करती है।
पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय
उसे मिलने वालों को रोका जा रहा है।”
📢 भाजपा की मांगें
भाजपा ने राज्य सरकार से निम्नलिखित माँगें रखी हैं —
- पीड़िता को तत्काल सुरक्षा दी जाए।
- मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
- दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सज़ा दी जाए।
- लॉकेट चटर्जी को पीड़िता से मिलने की अनुमति दी जाए।

🕊️ निष्कर्ष: बंगाल में कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह मामला सिर्फ एक गैंगरेप की घटना नहीं,
बल्कि यह सवाल है कि क्या लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि भी
सच्चाई जानने से रोके जाएंगे?
लॉकेट चटर्जी को रोके जाने की यह घटना
राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से
बंगाल की प्रशासनिक स्थिति पर गहरा प्रश्नचिह्न लगाती है।
“जब एक सांसद को रोक दिया जाए, तो आम जनता की आवाज़ कौन सुनेगा?”