बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की सियासत में हलचल बढ़ती जा रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) — यानी HAM(S) ने एक अहम फैसला लेते हुए अपने सभी छह उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने जिन नामों की घोषणा की है, वे न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि इससे गठबंधन के अंदर की स्थिति और सीट बंटवारे की राजनीति भी साफ झलकती है।
🏛️ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का राजनीतिक परिचय
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) की स्थापना 2015 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने की थी।
यह पार्टी बिहार की राजनीति में दलित, महादलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की आवाज मानी जाती है।
HAM का आधार भले ही सीमित हो, लेकिन जीतन राम मांझी की राजनीतिक पकड़ और सामाजिक समीकरणों के कारण पार्टी NDA का एक प्रभावी घटक बनी हुई है।
वर्तमान में HAM का NDA के साथ गठबंधन है, जिसमें बीजेपी और जेडीयू इसके प्रमुख साझेदार हैं।
📋 जीतन राम मांझी का बड़ा ऐलान — 6 उम्मीदवारों की सूची जारी
जीतन राम मांझी ने मंगलवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी पार्टी के सभी 6 उम्मीदवारों की घोषणा की।
यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब बिहार NDA में सीट बंटवारे को लेकर कुछ मतभेदों की खबरें सामने आ रही थीं।
📌 घोषित 6 उम्मीदवारों की सूची (HAM की ओर से)
(उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक रिपोर्ट्स के अनुसार तैयार सूची)
- राजेश कुमार — गया टाउन विधानसभा सीट
- शिवनारायण राम — जहानाबाद
- विनोद मांझी — बाराचट्टी
- संगीता देवी — हिसुआ
- प्रमोद मांझी — सिकंदरा
- रमेश चंद्र — मखदुमपुर
इन सभी उम्मीदवारों को जातीय संतुलन और क्षेत्रीय प्रभाव को ध्यान में रखकर चुना गया है।
पार्टी का कहना है कि “हमारा लक्ष्य समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व देना है।”
🗣️ जीतन राम मांझी का बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए मांझी ने कहा —
“हमारे सभी उम्मीदवार जनता की सेवा के लिए समर्पित हैं।
हमारी पार्टी समाज के वंचित वर्गों की आवाज है, और इस बार बिहार में बदलाव की दिशा HAM दिखाएगी।”
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, लेकिन अपने अस्तित्व और विचारधारा से समझौता नहीं करेगी।
⚖️ NDA में सीट बंटवारे की स्थिति
बिहार NDA में इस समय चार प्रमुख दल शामिल हैं —
- भारतीय जनता पार्टी (BJP)
- जनता दल यूनाइटेड (JDU)
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM)
- राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP)
गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चर्चाएँ जारी हैं।
HAM को 6 सीटें दी गई हैं, जबकि बाकी सीटों पर BJP और JDU के बीच समझौता हुआ है।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, मांझी कुछ और सीटों की मांग कर रहे थे, लेकिन अंततः उन्होंने 6 सीटों पर सहमति जताई।
🧩 राजनीतिक विश्लेषण — क्या है इसका मतलब?
HAM का यह कदम यह दिखाता है कि पार्टी अपनी राजनीतिक पहचान बनाए रखना चाहती है।
6 उम्मीदवारों का ऐलान कर जीतन राम मांझी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे गठबंधन में बराबरी की भूमिका चाहते हैं, न कि केवल “छोटे साथी” के रूप में।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ऐलान NDA के भीतर
“संतुलन बनाए रखने की कोशिश” और
“जनता के बीच मजबूत उपस्थिति दिखाने की रणनीति” है।
🧾 उम्मीदवारों की सामाजिक और क्षेत्रीय रणनीति
HAM ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय और भौगोलिक समीकरणों का खास ध्यान रखा है।
| क्रमांक | उम्मीदवार का नाम | विधानसभा क्षेत्र | जातीय पृष्ठभूमि | प्रमुख मुद्दे |
|---|---|---|---|---|
| 1 | राजेश कुमार | गया टाउन | महादलित | बेरोजगारी, शिक्षा |
| 2 | शिवनारायण राम | जहानाबाद | अनुसूचित जाति | किसानों की समस्या |
| 3 | विनोद मांझी | बाराचट्टी | मांझी समाज | सड़क, स्वास्थ्य |
| 4 | संगीता देवी | हिसुआ | महिला उम्मीदवार | महिला सुरक्षा, स्वावलंबन |
| 5 | प्रमोद मांझी | सिकंदरा | पिछड़ा वर्ग | बिजली, पानी, आवास |
| 6 | रमेश चंद्र | मखदुमपुर | दलित | शिक्षा और सामाजिक न्याय |
📈 क्या असर पड़ेगा बिहार चुनाव पर?
HAM भले ही बिहार की बड़ी पार्टी नहीं है, लेकिन कई सीटों पर उसका लोकल वोट बैंक बेहद मजबूत है।
मांझी का प्रभाव खासकर गया, जहानाबाद और नवादा जिलों में देखा जाता है।
अगर HAM अपने उम्मीदवारों को मजबूत वोट ट्रांसफर कराने में सफल रही,
तो यह NDA को कई क्षेत्रों में सीधा फायदा पहुंचा सकती है।
वहीं, विपक्ष के लिए यह नई चुनौती होगी कि वह महादलित और पिछड़े वर्गों में अपनी पकड़ बनाए रखे।
⚙️ विपक्ष की प्रतिक्रिया
राजद (RJD) और कांग्रेस ने इस ऐलान को “छोटे दलों की मजबूरी” बताया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा —
“HAM जैसी पार्टियों के पास अब जनता में प्रभाव नहीं बचा है,
इसलिए ये बीजेपी के इशारे पर चुनाव लड़ रही हैं।”
हालांकि, HAM प्रवक्ता ने जवाब में कहा कि —
“हम जनता के लिए काम करते हैं, न कि किसी पार्टी के इशारे पर।”

🎯 निष्कर्ष
जीतन राम मांझी का यह ऐलान बिहार की सियासत में नया मोड़ लाता है।
जहाँ एक ओर यह पार्टी के आत्मविश्वास को दर्शाता है,
वहीं यह NDA गठबंधन में “समान भागीदारी” की भावना को भी मजबूत करता है।
6 उम्मीदवारों की यह सूची
HAM के “जनसंपर्क, जातीय समीकरण और संगठनात्मक सक्रियता” की झलक देती है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में
यह रणनीति मांझी और उनकी पार्टी को कितना लाभ दिलाती है।