🇺🇸 डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 155 फीसदी तक टैरिफ लगाने की दी धमकी – पूरी खबर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक कदमों की चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर वह फिर से सत्ता में लौटे तो चीन से आने वाले हर उत्पाद पर 100 से 155 प्रतिशत तक टैरिफ (आयात कर) लगाया जाएगा।
उनके इस बयान से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) की आशंका एक बार फिर गहराने लगी है।
🔹 ट्रंप का सख्त बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने एक चुनावी रैली के दौरान कहा,
“चीन ने हमारे उद्योगों, किसानों और नौकरियों को नुकसान पहुंचाया है। अगर मैं दोबारा राष्ट्रपति बना, तो चीन से आने वाले हर उत्पाद पर 155% तक टैरिफ लगाया जाएगा। अब अमेरिका को कोई भी देश लूट नहीं सकता।”
ट्रंप ने कहा कि चीन लगातार अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहा है और सस्ते उत्पादों के जरिए अमेरिकी बाजार पर कब्जा जमा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कदम ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत उठाया जाएगा।
🔹 चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने ट्रंप की इस धमकी को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। बीजिंग ने कहा कि इस तरह की धमकियाँ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा –
“टैरिफ बढ़ाने की धमकियों से किसी को फायदा नहीं होगा। चीन निष्पक्ष व्यापार चाहता है, लेकिन दबाव या धमकी स्वीकार नहीं करेगा।”
🔹 अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि
2018 में ट्रंप प्रशासन के दौरान ही अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत हुई थी। उस समय अमेरिका ने चीन के अरबों डॉलर के उत्पादों पर 25% तक टैरिफ लगा दिया था, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधी शुल्क लगाया।
इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए और वैश्विक बाजारों में मंदी जैसी स्थिति आ गई थी।
अब ट्रंप का नया बयान यह संकेत देता है कि अगर वह 2025 के अमेरिकी चुनाव में जीतते हैं, तो ट्रेड वॉर का दूसरा दौर शुरू हो सकता है।
🔹 विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी ऊँची टैरिफ दरें अमेरिकी उपभोक्ताओं और उद्योगों पर भी असर डाल सकती हैं।
इकोनॉमिक एनालिस्ट्स का मानना है कि इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी और घरेलू बाजार में दामों पर दबाव बनेगा।
हालांकि, ट्रंप समर्थक मानते हैं कि इससे देश में उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी उद्योगों को नई जान मिलेगी।
🔹 चुनावी रणनीति या वास्तविक नीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। चीन के खिलाफ सख्त बयानबाजी रिपब्लिकन वोटरों को लुभाने की कोशिश है।
ट्रंप अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा के जरिए देश की जनता को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि वह फिर से अमेरिका की आर्थिक ताकत बहाल करेंगे।

🔹 निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान से एक बात साफ है कि आने वाले अमेरिकी चुनावों में चीन एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।
अगर ट्रंप सत्ता में लौटते हैं, तो वैश्विक व्यापार और आर्थिक नीतियों में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि चीन इस पर आगे कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या दुनिया एक नए ट्रेड वॉर के दौर में प्रवेश करेगी।