संदीप कुमार लाठर हरियाणा पुलिस की साइबर सेल में एएसआई के पद पर तैनात थे। वे रोहतक जिले के लाढ़ौत गांव के रहने वाले थे और अपने व्यवहार, ईमानदारी और जनसेवा के लिए जाने जाते थे। पुलिस विभाग में उनके सहयोगी उन्हें एक शांत स्वभाव वाले, कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में याद कर रहे हैं।
संदीप ने अपने जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह चुनी, लेकिन सिस्टम की जटिलता और भ्रष्टाचार के चलते वे मानसिक तनाव में आ गए।
उनके परिवार में मां, पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। बच्चों की उम्र अभी कम है और घर का माहौल गमगीन है। गांव में मातम पसरा हुआ है और हर कोई यही पूछ रहा है — “एक ईमानदार पुलिसकर्मी को आखिर इतना बड़ा कदम क्यों उठाना पड़ा?”
🔫 आत्महत्या की घटना कैसे हुई?
मंगलवार दोपहर की बात है। संदीप अपने रिश्तेदार के खेत में बने एक कमरे की पहली मंजिल पर गए थे। बताया जाता है कि कुछ समय बाद वहां से गोली चलने की आवाज आई। खेत में काम कर रहे मजदूर दौड़कर ऊपर पहुंचे तो देखा कि संदीप लाठर खून से लथपथ पड़े थे। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई और शव को रोहतक पीजीआई ले जाया गया।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट और एक वीडियो रिकॉर्डिंग मिली, जिसने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया।
📜 सुसाइड नोट और वीडियो में क्या लिखा था?
सुसाइड नोट करीब चार पन्नों का बताया जा रहा है, जिसमें एएसआई संदीप ने हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
संदीप ने लिखा कि विभाग में बढ़ते भ्रष्टाचार, अनैतिक आदेशों और अनुचित दबाव के कारण वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं।
उन्होंने साफ लिखा —
“मैं जातिवाद या किसी निजी दुश्मनी से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और झूठ के इस तंत्र से परेशान हूं।”
वीडियो में भी संदीप ने कुछ अधिकारियों और उनके परिजनों के नाम लेकर कहा कि उनकी जांच की जाए, तभी सच्चाई सामने आएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कॉल डिटेल्स (CDR) और सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए तो सब साफ हो जाएगा।
⚖️ परिवार ने पोस्टमार्टम से क्यों किया इनकार?
घटना के बाद जब पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की कोशिश की, तो परिवार ने सख्त विरोध किया।
परिजनों का कहना था कि पहले इस मामले की निष्पक्ष जांच और आरोपी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए, उसके बाद ही पोस्टमार्टम होगा।
गांव में हजारों लोग जमा हो गए, जो न्याय की मांग कर रहे थे। माहौल तनावपूर्ण था।
परिवार की मांग थी कि:
- संदीप की आत्महत्या की जांच CBI या हाईकोर्ट की निगरानी में हो।
- जिन लोगों के नाम सुसाइड नोट और वीडियो में हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
- सरकार परिवार के साथ न्याय करे और दोषियों को सजा दिलाए।
🤝 देर रात बनी सहमति
मामला बढ़ता देख हरियाणा सरकार हरकत में आई।
राज्य के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और पूर्व मंत्री कृष्णलाल पंवार को परिवार से बात करने के लिए भेजा गया।
लाढ़ौत गांव में देर रात तक बातचीत चलती रही। प्रशासन ने परिवार को भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष होगी और कोई भी आरोपी नहीं बचेगा।
करीब रात 1 बजे के आसपास परिवार ने आखिरकार पोस्टमार्टम के लिए सहमति दी।
फिलहाल शव को रोहतक पीजीआई में सुरक्षित रखा गया है, जहां आज पोस्टमार्टम होगा। उसके बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा।
🚓 FIR और जांच की दिशा
रोहतक पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है।
एफआईआर में आईपीएस अधिकारी पूरण कुमार की पत्नी और उनके साले का भी नाम शामिल है।
धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 120बी (साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस बीच, राज्य सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि जांच CBI या SIT को सौंपी जाए।
कांग्रेस और INLD नेताओं ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि एक ईमानदार एएसआई की मौत को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने हरियाणा की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि:
“यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, यह सिस्टम की विफलता है। अगर एक पुलिसकर्मी न्याय के लिए तड़प कर जान दे दे, तो सोचिए आम आदमी का क्या होगा।”
INLD प्रमुख अभय सिंह चौटाला ने भी कहा कि:
“सरकार को तुरंत SIT बनानी चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार करना चाहिए। इस मामले को दबाने की कोशिश की गई तो जनता सड़कों पर उतर आएगी।”
🏠 गांव में मातम और गुस्सा
लाढ़ौत गांव में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है।
संदीप के घर में चारों ओर भीड़ लगी है, लेकिन हर चेहरा दुख से भरा हुआ है।
उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी लगातार बेहोश हो जा रही हैं। बच्चे अपने पिता को आखिरी बार देखने की जिद कर रहे हैं।
गांव के बुजुर्गों ने कहा कि संदीप हमेशा मदद करने को तैयार रहते थे।
उन्होंने गरीबों की शिकायतें खुद दर्ज करवाईं, और किसी को भी थाने के चक्कर नहीं लगाने दिए।
ऐसे ईमानदार इंसान को सिस्टम ने तोड़ दिया — यही बात लोगों के दिल में टीस बनकर रह गई है।
📢 सोशल मीडिया पर गुस्सा और समर्थन
जैसे ही संदीप का वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर #JusticeForSandeep ट्रेंड करने लगा।
हजारों यूजर्स ने ट्वीट किया कि एक ईमानदार पुलिसकर्मी ने अपनी जान देकर सच्चाई सामने लाने की कोशिश की है।
लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की पारदर्शी जांच हो और सुसाइड नोट में नामित लोगों को गिरफ्तार किया जाए।
कई पुलिस अधिकारियों और पूर्व कर्मियों ने भी सोशल मीडिया पर संदीप के समर्थन में पोस्ट लिखे हैं, जिसमें कहा गया है कि सिस्टम के अंदर मौजूद गंदगी को साफ किए बिना ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं हैं।
🕵️ संभावित जांच और आगे की कार्रवाई
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आगे क्या होगा?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि मामला गंभीर है और इसे उच्च स्तर पर देखा जा रहा है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में:
- SIT का गठन किया जाएगा,
- आरोपी अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा,
- वीडियो और सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा।
वहीं, विपक्ष लगातार दबाव बना रहा है कि जांच न्यायिक स्तर पर कराई जाए।
📅 आज की कार्यवाही
आज सुबह रोहतक पीजीआई में विशेषज्ञ पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा।
परिवार के सदस्य और प्रशासन के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।
इसके बाद शव को गांव लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गांव के लोग और आसपास के इलाकों से हजारों लोग अंतिम संस्कार में शामिल होंगे।
हर कोई संदीप की बहादुरी और सच्चाई के प्रति समर्पण को सलाम करेगा।
💔 एक सवाल जो अब भी बाकी है…
संदीप के शब्द आज भी हर किसी के कानों में गूंज रहे हैं —
“मैं थक गया हूं, पर सच्चाई जरूर सामने आएगी।”
क्या सच में सच्चाई सामने आएगी?
क्या सिस्टम उन दोषियों को सजा दिला पाएगा जिन्होंने एक ईमानदार अधिकारी को मरने पर मजबूर किया?
या फिर यह मामला भी दूसरे मामलों की तरह धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा?
यह सवाल सिर्फ संदीप के परिवार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है।

✍️ निष्कर्ष
ASI संदीप लाठर की आत्महत्या ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे सुरक्षा तंत्र के अंदर कैसी मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।
यह घटना एक चेतावनी है कि यदि ईमानदारी को सम्मान नहीं मिलेगा, तो सच्चे लोग टूटते रहेंगे।
सरकार, न्यायपालिका और जनता — सभी की जिम्मेदारी है कि इस मामले में सच्चाई उजागर हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
संदीप भले अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका संघर्ष और उनकी बात हमेशा लोगों के दिल में जीवित रहेगी।