📰 25 नवंबर से शुरू होगा असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र, कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
असम की राजनीति में हलचल एक बार फिर बढ़ने वाली है क्योंकि असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर 2025 से शुरू होने जा रहा है। यह सत्र कई राजनीतिक और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा का केंद्र रहेगा। विधानसभा सचिवालय ने इस सत्र को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।
🔹 सत्र की अवधि और कार्यक्रम
असम विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा।
सत्र के दौरान कुल 6 बैठकें प्रस्तावित हैं। इस अवधि में सरकार कई विधेयक पेश कर सकती है, साथ ही विपक्ष भी कई ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
🔹 मुख्य मुद्दे जिन पर चर्चा संभव
- बाढ़ राहत और पुनर्वास कार्यों की प्रगति
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की स्थिति
- राज्य में बेरोजगारी और उद्योग नीति से जुड़े प्रश्न
- सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के लागू होने के प्रभाव
- राज्य के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा और अवैध घुसपैठ की समस्या
विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वह सरकार से इन मुद्दों पर स्पष्ट जवाब की मांग करेगा।
🔹 सरकार की तैयारी
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार इस सत्र को काफी अहम मान रही है। सरकार का फोकस विकास कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और नए निवेश प्रस्तावों पर चर्चा करने पर रहेगा।
साथ ही, कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़े दो नए विधेयक पेश किए जाने की संभावना है।
🔹 विपक्ष की रणनीति
कांग्रेस और एआईयूडीएफ (AIUDF) ने सरकार को महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था के मुद्दों पर घेरने की योजना बनाई है। विपक्ष ने कहा कि जनता से जुड़े मसलों पर सरकार की नीतियाँ असफल रही हैं, और यह सत्र जवाबदेही तय करने का समय है।
🔹 विधानसभा सचिवालय की जानकारी
असम विधानसभा सचिवालय के अनुसार, सत्र के लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। सदन के दौरान शांति और अनुशासन बनाए रखने के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी।
सभी सदस्यों को सत्र से संबंधित दस्तावेज़ और प्रश्नोत्तर सूची पहले ही भेजी जा चुकी है।
🔹 जनता की उम्मीदें
राज्य की जनता को उम्मीद है कि इस सत्र में सरकार उनके हितों से जुड़े मुद्दों पर ठोस निर्णय लेगी — खासतौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, बाढ़ प्रबंधन और युवा रोजगार योजनाओं पर।

📍 निष्कर्ष
असम विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहेगा। जहां सरकार विकास योजनाओं पर अपना पक्ष रखेगी, वहीं विपक्ष जनहित के मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगा। राज्य की जनता की निगाहें अब इस सत्र पर टिकी हैं।