भारत में एक बार फिर खांसी की दवाई (Cough Syrup) को लेकर बड़ा विवाद और चिंता का माहौल पैदा हो गया है। मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में कई बच्चों और बुजुर्गों की रहस्यमय मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू की है। प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया है कि स्थानीय स्तर पर बेचे जा रहे कुछ कफ सिरप में जहरीले रासायनिक तत्व पाए गए हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर में बड़ा अलर्ट जारी कर दिया है।
यह मामला सिर्फ एक राज्य का नहीं है, बल्कि पूरे देश के दवा नियामक तंत्र (Drug Regulatory System) पर सवाल खड़े कर रहा है।
🧾 घटना की पृष्ठभूमि
सितंबर 2025 के आखिरी हफ्ते में मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में अचानक बच्चों और बुजुर्गों की मौत की खबरें आने लगीं। इन मौतों में एक समानता थी —
सभी पीड़ितों ने खांसी-जुकाम के लिए बाजार से खरीदा हुआ कफ सिरप लिया था।
स्वास्थ्य विभाग को जब शक हुआ, तो तुरंत सभी फार्मेसी दुकानों और प्राइवेट क्लीनिकों पर छापेमारी शुरू की गई। जांच में सामने आया कि कुछ स्थानीय कंपनियों द्वारा बनाए गए सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol – DEG) और इथिलीन ग्लाइकोल (Ethylene Glycol) जैसे जहरीले रसायन मौजूद थे — जो इंसान के लिए घातक साबित होते हैं।
⚠️ क्या है यह जहरीला तत्व?
डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और इथिलीन ग्लाइकोल (EG) का उपयोग आम तौर पर औद्योगिक कूलेंट और एंटीफ्रीज उत्पादों में होता है।
अगर ये गलती से या जानबूझकर दवा में मिल जाएँ, तो यह किडनी फेल, लीवर डैमेज, उल्टी, दौरे और मौत तक का कारण बन सकते हैं।
यह वही रसायन है, जिसने 2022 में गाम्बिया (अफ्रीका) में 70 से अधिक बच्चों की मौत कराई थी, जब भारत की एक फार्मा कंपनी द्वारा सप्लाई किया गया कफ सिरप दूषित पाया गया था।
🧪 जांच रिपोर्ट क्या कहती है?
मध्य प्रदेश की फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) ने शुरुआती जांच रिपोर्ट में पुष्टि की है कि:
- तीन सिरप सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा 0.6% से 1.2% तक पाई गई।
- यह मात्रा मानक सीमा (0%) से कहीं अधिक है।
- कुछ सैंपल में मिश्रण की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई — यानी ये या तो फर्जी (spurious) या अमानक (substandard) दवाएं थीं।
रिपोर्ट के बाद राज्य औषधि नियंत्रण विभाग (State Drug Control Department) ने तुरंत कार्रवाई की और इन सिरपों की बिक्री पर रोक लगा दी।
🚨 प्रभावित जिलों की सूची
| क्रमांक | जिला | संदिग्ध सिरप का नाम | मौतों की संख्या | स्थिति |
|---|---|---|---|---|
| 1 | मंदसौर | कोफरेक्स-डी (स्थानीय कंपनी) | 6 | जांच जारी |
| 2 | नीमच | कोफलिन प्लस | 4 | सैंपल जब्त |
| 3 | रतलाम | डेक्सोफ सीरप | 3 | रिपोर्ट प्रतीक्षित |
| 4 | उज्जैन | अज्ञात सिरप | 2 | निगरानी में |
| 5 | भोपाल | स्टॉक जब्त | 0 | बिक्री पर रोक |
🏛️ सरकार की कार्रवाई
1️⃣ तत्काल प्रतिबंध
मध्य प्रदेश सरकार ने सभी फार्मा दुकानों को आदेश दिया कि बिना जांच के किसी भी लोकल या कम ज्ञात ब्रांड की खांसी की दवा न बेची जाए।
2️⃣ फैक्टरी सील
रतलाम और इंदौर की दो स्थानीय फार्मा निर्माण इकाइयों को सील कर दिया गया है, जिन पर नकली सिरप बनाने का शक है।
3️⃣ केंद्र सरकार की जांच टीम
केंद्र सरकार ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), सेंट्रल ड्रग्स लैब (CDL, कोलकाता) और AIIMS विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम गठित की है, जो सभी नमूनों की जांच कर रही है।
4️⃣ WHO को सूचना
भारत सरकार ने यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी रिपोर्ट किया है ताकि भविष्य में निर्यात और अंतरराष्ट्रीय दवा विश्वसनीयता पर असर न पड़े।
🧍♀️ पीड़ित परिवारों की कहानी
मंदसौर की रहने वाली रीमा बाई, जिनके 4 साल के बेटे की मौत हुई, कहती हैं —
“हमने तो बस सर्दी-खांसी की दवा दी थी, दो दिन बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर ने कहा कि किडनी फेल हो गई है। हमें पता भी नहीं चला कि दवा जहरीली थी।”
इसी तरह नीमच के किसान राजू मेहता के पिता की मौत भी इसी दवा से हुई।
“डॉक्टर ने कहा कि शरीर में ज़हर फैल गया। अब सरकार को ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए,” वे रोते हुए कहते हैं।
🧬 भारत में नकली दवाओं की समस्या
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता देश है, लेकिन साथ ही यहां नकली और अमानक दवाओं का बाजार भी बहुत बड़ा है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के अनुसार:
- देश में लगभग 8–10% दवाएं अमानक पाई जाती हैं।
- हर साल औसतन 300 से अधिक फार्मा कंपनियों पर कार्रवाई होती है।
- कई छोटे निर्माता सस्ते रसायनों का इस्तेमाल कर उत्पाद बनाते हैं।
📢 केंद्र सरकार का बयान
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया —
“मध्य प्रदेश की घटना अत्यंत गंभीर है। किसी भी राज्य में यदि किसी सिरप में विषाक्त पदार्थ पाया जाता है, तो उस कंपनी का लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर जेल और जुर्माने की कार्रवाई होगी।”
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया —
“जनता को अलर्ट रहना चाहिए। किसी भी संदिग्ध दवा की जानकारी तुरंत ‘Drugs Control Helpline’ पर दें।”
🧾 सरकार ने जारी किए निर्देश
- सभी अस्पतालों को आदेश — खांसी की दवा देने से पहले कंपनी और बैच नंबर की जांच करें।
- राज्य औषधि प्रयोगशालाओं को 72 घंटे में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश।
- ऑनलाइन बिक्री (E-Pharmacy) पर निगरानी बढ़ाई गई।
- जन-जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना ताकि लोग अज्ञात कंपनियों की दवाओं से बचें।
🧑⚕️ विशेषज्ञों की राय
डॉ. राजीव रंजन (AIIMS फार्माकोलॉजी विभाग)
“डायथिलीन ग्लाइकोल एक बेहद जहरीला रसायन है। यह शरीर में जाकर किडनी की नलिकाओं को नष्ट कर देता है। इसके असर से मरीज को उल्टी, भ्रम और कोमा तक हो सकता है।”
डॉ. निधि अग्रवाल (बाल रोग विशेषज्ञ, भोपाल)
“बच्चों में यह ज़हर जल्दी असर करता है। इसलिए माता-पिता को बाजार की सस्ती खांसी की दवाएं खरीदने से बचना चाहिए। केवल डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा ही दें।”
🧰 आम जनता के लिए सावधानियाँ
| सावधानी | विवरण |
|---|---|
| ✅ केवल मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से दवा खरीदें | अज्ञात या खुली जगहों से दवा न लें |
| ✅ लेबल और बैच नंबर जांचें | कंपनी का नाम, मैन्युफैक्चरिंग डेट जरूर देखें |
| 🚫 बच्चों को वयस्क सिरप न दें | डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न दें |
| 🚫 अधिक मात्रा में सिरप न लें | ओवरडोज से किडनी फेल का खतरा |
| ☎️ संदिग्ध दवा की रिपोर्ट करें | ड्रग्स हेल्पलाइन: 1800-180-3024 |
🌍 अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि
भारत से पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं:
- 2022 (गाम्बिया): भारत निर्मित खांसी की दवा से 70 बच्चों की मौत
- 2023 (उज़्बेकिस्तान): 18 बच्चों की मौत
- 2024 (कंबोडिया): स्थानीय बाजार में जहरीला सिरप पाया गया
WHO ने बार-बार चेतावनी दी है कि भारत सहित विकासशील देशों में निगरानी तंत्र कमजोर है और गुणवत्ता जांच की आवृत्ति बढ़ाई जानी चाहिए।
📊 भविष्य की कार्ययोजना
भारत सरकार ने दवा उद्योग में पारदर्शिता लाने के लिए नई योजना शुरू की है:
- Track & Trace System:
हर दवा पर QR Code होगा, जिससे उपभोक्ता मोबाइल से स्कैन करके मूल निर्माता की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। - Pharma Jan Samiksha Portal:
कोई भी नागरिक संदिग्ध दवा की शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकेगा। - राष्ट्रीय औषधि गुणवत्ता मिशन:
2026 तक सभी राज्यों में आधुनिक लैब स्थापित की जाएंगी ताकि जांच प्रक्रिया तेज हो।

मध्य प्रदेश में हुई यह दुखद घटना देश के दवा तंत्र को एक गहरा झटका देती है।
यह केवल सरकारी लापरवाही नहीं, बल्कि उस सिस्टम की चेतावनी है जो आम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दे सकता।
अब जरूरी है कि सरकार सख्त नियामक तंत्र, तेज जांच, और जन-जागरूकता अभियान के ज़रिए यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई भी परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने।