अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा दावा करते हुए कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने दोनों देशों को चेतावनी दी थी कि अगर युद्ध हुआ तो अमेरिका दोनों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाएगा और व्यापारिक संबंध समाप्त कर देगा।
🇺🇸 ट्रंप का बयान
ट्रंप ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कहा,
“भारत और पाकिस्तान के बीच जब हालात बहुत तनावपूर्ण थे, तब मैंने दोनों से कहा कि अगर तुम लोग युद्ध करोगे, तो मैं व्यापार बंद कर दूंगा। मैंने 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके बाद हालात शांत हो गए।”
उन्होंने यह भी कहा कि उस समय “सात विमान मार गिराए गए थे” और स्थिति बेहद गंभीर थी, लेकिन उनकी कड़ी चेतावनी के बाद मामला संभल गया।
🌏 भारत और पाकिस्तान पर असर
ट्रंप के इस बयान के बाद एक बार फिर भारत-पाक रिश्तों पर अमेरिकी भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
भारत ने पहले भी स्पष्ट किया था कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। भारत का कहना है कि वह पाकिस्तान से बातचीत केवल आतंकवाद और सीमा मुद्दों पर करेगा — किसी बाहरी दबाव में नहीं।
वहीं पाकिस्तान ने ट्रंप के पुराने बयानों का स्वागत किया था, लेकिन इस बार किसी भी आधिकारिक प्रतिक्रिया से परहेज किया है।
💬 ट्रंप का तर्क – “टैरिफ मतलब नेशनल सिक्योरिटी”
ट्रंप ने यह भी कहा कि टैरिफ सिर्फ आर्थिक नीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का हथियार है। उन्होंने दावा किया कि इसी नीति के जरिए उन्होंने चीन और रूस जैसे देशों को भी नियंत्रित करने की कोशिश की।
“जब आप व्यापार रोकते हैं, तो आप उनकी ताकत कम कर देते हैं। मैंने यही किया और भारत-पाक युद्ध को टाल दिया,” ट्रंप ने कहा।
🕊️ विशेषज्ञों की राय
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह दावा राजनीतिक बयानबाज़ी हो सकता है, खासकर अमेरिकी चुनावी माहौल को देखते हुए। भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 और 2020 में कई बार तनाव बढ़ा, लेकिन कोई औपचारिक युद्ध की स्थिति नहीं बनी।
कई विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका ने परोक्ष रूप से शांति की अपील जरूर की थी, लेकिन “टैरिफ लगाकर युद्ध रुकवाने” वाला ट्रंप का बयान अतिशयोक्तिपूर्ण है।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। विदेश मंत्रालय ने पहले ही कहा था कि भारत अपनी संप्रभुता और निर्णय स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध है, और किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।
🔚 निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा नया नहीं है — वह पहले भी कह चुके हैं कि उन्होंने अपने “व्यापारिक कौशल” और “टैरिफ नीति” से वैश्विक संकटों को टाल दिया था। हालांकि, भारत ने इसे कभी मान्यता नहीं दी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप के ऐसे बयान उनके चुनावी प्रचार का हिस्सा हैं, जिससे वे खुद को “ग्लोबल डीलमेकर” के रूप में पेश करना चाहते हैं।
