करवाचोथ भारत के प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत की विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएँ उपवास रखती हैं और संध्या में चंद्रमा दर्शन कर व्रत खोलती हैं।
करवाचोथ का त्योहार सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं के धैर्य, समर्पण और संयम की भी परीक्षा लेता है।
करवाचोथ का महत्व
करवाचोथ का धार्मिक महत्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए होता है।
- पति की लंबी उम्र: महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
- सामाजिक समर्पण: यह व्रत महिलाओं के धैर्य और समर्पण का प्रतीक है।
- पारिवारिक सुख: घर में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य लाने की मान्यता।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, करवाचोथ हिंदू पंचांग की कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
करवाचोथ 2025 की तिथि और समय
- तिथि: 8 नवंबर 2025 (कृष्ण पक्ष चतुर्थी)
- उदय समय: प्रातः 06:00 बजे
- अंत समय: संध्या 18:30 बजे (चंद्रमा दर्शन के समय)
करवाचोथ व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा दर्शन के बाद ही समाप्त होता है।
करवाचोथ व्रत की तैयारी
1. व्रत सामग्री और पूजन के लिए आवश्यक वस्तुएँ
- करवाचोथ का पात्र (साफ और नया थाल)
- दीपक और घी
- कुमकुम, हल्दी, चंदन
- फल, मिठाई और स्नैक्स (पूजा सामग्री के रूप में)
- पानी, शुद्ध दूध और चावल
2. सुपारी और सोने का पात्र
कुछ परिवारों में व्रत के दिन सुपारी और सोने का पात्र सजाया जाता है। यह पति के लिए सम्मान और शुभकामना का प्रतीक है।
3. उपवास की तैयारी
- महिलाएँ दिन में हल्का भोजन करती हैं और शाम तक सख्त उपवास रखती हैं।
- पानी का सेवन व्रत के दौरान नहीं किया जाता।
- व्रत की शुरुआत संध्या आरती और पूजा से होती है।
करवाचोथ पूजा की विधि
1. संध्या पूजा
- संध्या समय पर साफ पात्र में दीपक जलाएँ।
- पति-पत्नी का हाथ पकड़कर पूजा करें।
- कहानी या कथा सुनना या पढ़ना आवश्यक माना जाता है।
2. चंद्र दर्शन और व्रत खोलना
- रात में चंद्रमा निकलने पर महिलाएँ चौखट या जाली से चंद्रमा को देखें।
- चंद्रमा को देखकर पति की छवि या उनके चरण को देखते हुए व्रत खोलती हैं।
- व्रत खोलने के बाद फल, पानी और मिठाई ग्रहण किया जाता है।
करवाचोथ की कथा
करवाचोथ व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा की पत्नी ने व्रत करके अपने पति की लंबी उम्र सुनिश्चित की थी।
कथा के मुख्य अंश:
- राजा बीमार पड़ गए थे।
- उनकी पत्नी ने करवाचोथ व्रत रखा और चंद्रमा पूजन किया।
- व्रत के प्रभाव से राजा स्वस्थ और दीर्घायु हुए।
इस कथा के माध्यम से महिलाओं को धैर्य, संयम और विश्वास की शिक्षा दी जाती है।
करवाचोथ व्रत के लाभ
1. धार्मिक लाभ
- पति की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
2. सामाजिक लाभ
- महिलाओं में समर्पण और धैर्य की भावना विकसित होती है।
- परिवार और समाज में संबंध मजबूत होते हैं।
3. आध्यात्मिक लाभ
- व्रत और पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- संयम और आत्म-नियंत्रण की भावना विकसित होती है।
करवाचोथ 2025 में विशेष आयोजन
इस वर्ष, कई नगरों और गाँवों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा आयोजन आयोजित किए जाएंगे। प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में महिला मंडल और मंदिरों में विशेष आरती और कथा वाचन होगा।
स्वास्थ्य और सावधानियाँ
करवाचोथ व्रत लंबे समय तक भूखे और बिना पानी के रहना होता है। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ आवश्यक हैं:
- हृदय रोग या मधुमेह जैसी महिलाएँ व्रत करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- व्रत के बाद फल और पानी का सेवन धीरे-धीरे करें।
- हल्का भोजन व्रत से पहले किया जा सकता है।

करवाचोथ न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह धैर्य, समर्पण और पारिवारिक प्रेम का प्रतीक है।
इस वर्ष करवाचोथ 2025 में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए पूजा और व्रत कर, समाज और संस्कृति में अपनी भागीदारी को प्रदर्शित करेंगी।
करवाचोथ पर्व हमें यह सिखाता है कि विश्वास, धैर्य और प्रेम किसी भी रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं।