पापांकुषा एकादशी, जिसे अश्विन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत करने से समस्त पाप समाप्त होते हैं, पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में एकादशी को ‘पापों का नाश करने वाली’ और ‘भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति देने वाली’ तिथि माना गया है। पापांकुषा एकादशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और उनके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं।
📅 पापांकुषा एकादशी 2025 – तिथि विवरण
| विवरण | दिनांक / समय |
|---|---|
| एकादशी तिथि प्रारंभ | 2 अक्टूबर 2025, शाम 7:10 PM |
| एकादशी तिथि समाप्त | 3 अक्टूबर 2025, शाम 6:32 PM |
| पारणा समय | 4 अक्टूबर 2025, सुबह 6:16 AM – 8:37 AM |
| महत्व | पाप नाश, पुण्य, मोक्ष |
| पूजा सामग्री | पंचामृत, तुलसी पत्र, दीपक, धूप, फल, मिठाई |
🕉️ पापांकुषा एकादशी का महत्व
पापांकुषा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से भक्तों के जीवन में निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- पापों का नाश: इस दिन व्रत करने से समस्त पाप समाप्त होते हैं।
- पुण्य की प्राप्ति: व्रति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुख-समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- परिवार में शांति: पारिवारिक जीवन में सौहार्द और शांति बनी रहती है।
पापांकुषा एकादशी का व्रत विशेष रूप से अश्विन मास की शुक्ल पक्ष में किया जाता है और इसे अश्विन शुक्ल एकादशी भी कहते हैं।
🙏 पूजा विधि
पापांकुषा एकादशी की पूजा विधि बहुत सरल और स्पष्ट है। इसमें निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:
1. व्रत प्रारंभ
- एकादशी तिथि प्रारंभ होने से पहले, दशमी तिथि (2 अक्टूबर) को हल्का भोजन करें।
- उपवास शुरू करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करें।
2. प्रातःकालीन स्नान
- सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के पूजा स्थल को साफ करें और दीपक जलाएं।
3. पूजा सामग्री
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
- तुलसी पत्र
- दीपक और धूप
- चावल, फल, मिठाई
- नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची
4. भगवान विष्णु की स्थापना
- पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें।
5. मंत्र जाप
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- मन, वचन और कर्म से भगवान विष्णु की भक्ति करें।
6. कथा वाचन
- पापांकुषा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
- कथा का अध्ययन करने से व्रति को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
7. दान और पारणा
- व्रत के समाप्त होने पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- दान करें – जैसे कि वस्त्र, अनाज, फल या मिठाई।
- पारणा सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करें।
📖 पापांकुषा एकादशी कथा
महाभारत के अनुशासन पर्व में युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पापांकुषा एकादशी के महत्व के बारे में पूछा।
भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि इस दिन व्रत करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण अपने जीवन में कई पापों से ग्रसित था। उसने पापांकुषा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और वह पुण्यशाली बन गया।
🌸 व्रत के लाभ
- पापों का नाश – जीवन के सभी पाप समाप्त होते हैं।
- पुण्य की प्राप्ति – व्रति को सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति – जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- सुख और समृद्धि – घर में सुख-शांति और धन की वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक शांति – मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।
🕰️ पारणा समय
पारणा समय 4 अक्टूबर 2025 को सुबह 6:16 AM से 8:37 AM तक है।
- व्रत खोलते समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- दान और पूजा के अन्य अनुष्ठान पूर्ण करें।
- पारणा सूर्योदय के बाद करना शुभ माना जाता है।
🛕 पापांकुषा एकादशी के अन्य नाम
- अश्विन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी
- पद्मनाभ एकादशी
- पाप नाशिनी एकादशी
- धर्म एकादशी
📌 महत्वपूर्ण टिप्स
- एकादशी तिथि प्रारंभ से पहले हल्का भोजन करें।
- पूजा में आवश्यक सामग्री का उपयोग करें।
- मंत्र जाप और कथा का विधिपूर्वक पालन करें।
- पारणा समय का ध्यान रखें।

🧘 आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभ
- मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि।
- शरीर को ऊर्जा और ताजगी का अनुभव।
- द्रव्य और आहार में संयम के कारण स्वास्थ्य में सुधार।
- आध्यात्मिक अभ्यास और ध्यान से जीवन में स्थिरता।
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