उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की मौत के बाद प्रदेश की सियासत गर्माई हुई है। हरिओम वाल्मीकि की बीते दिनों संदिग्ध हालात में हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद दलित संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर सवाल उठाए थे।
इस घटना ने न केवल सामाजिक न्याय के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई।
इसी क्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी शुक्रवार को फतेहपुर पहुंचे, जहां उनका कार्यक्रम हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मिलने का था।
🚶 राहुल गांधी का दौरा
राहुल गांधी सुबह फतेहपुर पहुंचे। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय नेता उनका स्वागत करने पहुंचे। राहुल गांधी सीधे हरिओम वाल्मीकि के घर की ओर रवाना हुए।
कांग्रेस के अनुसार, उनका उद्देश्य था परिवार से संवेदना प्रकट करना और यह संदेश देना कि दलित समाज के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
लेकिन घटनास्थल पर पहुंचने के बाद कुछ अप्रत्याशित हुआ।
🚫 परिवार ने मुलाकात से किया इनकार
जैसे ही राहुल गांधी हरिओम वाल्मीकि के घर पहुंचे, परिवार ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।
परिवार के सदस्यों ने कहा —
“हम राजनीति नहीं चाहते। हमें सरकार की कार्रवाई पर भरोसा है। अब हम किसी भी राजनीतिक दल के नेता से नहीं मिलना चाहते।”
परिवार ने कहा कि उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है और किसी भी पार्टी के माध्यम से इस मामले को राजनीतिक रंग देना वे नहीं चाहते।
🗣️ राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने इस स्थिति में संयम बरता। उन्होंने मीडिया से कहा कि वे परिवार की भावनाओं का सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा —
“मेरा उद्देश्य राजनीति नहीं, इंसाफ की आवाज़ उठाना है। लेकिन अगर परिवार नहीं मिलना चाहता तो यह उनका अधिकार है।”
राहुल ने साथ ही प्रदेश सरकार से मांग की कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और दलित समाज को सुरक्षा का भरोसा दिया जाए।
🔥 राजनीतिक माहौल में बढ़ी गर्मी
राहुल गांधी की इस यात्रा के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में बयानबाज़ी शुरू हो गई।
- कांग्रेस नेताओं ने कहा कि परिवार पर सरकारी दबाव के चलते उन्होंने मुलाकात से इनकार किया।
- जबकि भाजपा के नेताओं ने दावा किया कि राहुल गांधी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस घटना का इस्तेमाल कर रहे थे।
- सोशल मीडिया पर #HariomValmiki और #RahulGandhiFatehpur ट्रेंड करने लगे।
🧩 विश्लेषण: क्यों बढ़ा यह विवाद?
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| 1. दलित कार्ड की राजनीति | उत्तर प्रदेश में हर बड़ी घटना का सीधा संबंध वोट बैंक से जोड़ा जाता है। राहुल गांधी की यात्रा को भी इसी संदर्भ में देखा गया। |
| 2. परिवार की नाराज़गी या दबाव? | परिवार का ‘ना’ कहना दो रूपों में देखा जा रहा है – कुछ लोग इसे स्वतंत्र निर्णय मान रहे हैं, तो कुछ इसे प्रशासनिक दबाव का परिणाम बता रहे हैं। |
| 3. कांग्रेस की रणनीति | राहुल गांधी हाल के महीनों में लगातार सामाजिक न्याय और दलित-अधिकार के मुद्दे उठाते रहे हैं। यह यात्रा भी उसी अभियान का हिस्सा थी। |
| 4. सरकार पर सवाल | विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि दलितों पर अत्याचार के मामलों में राज्य सरकार का रुख उदासीन रहता है। |

📉 स्थिति का प्रभाव
- कांग्रेस को उम्मीद थी कि यह यात्रा उत्तर प्रदेश में उसके “जन संपर्क” अभियान को मजबूती देगी, लेकिन परिवार के इनकार ने पूरे घटनाक्रम की दिशा बदल दी।
- भाजपा ने इसे राहुल गांधी की “राजनीतिक नाकामी” बताया।
- वहीं कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि “राजनीति से परे” परिवार का यह फैसला एक साहसिक कदम है।