रावण दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, और इसी घटना को याद कर समाज में धर्म और नैतिकता की स्थापना का संदेश दिया जाता है।
रावण दशहरे का महत्व धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सभी दृष्टिकोण से है। यह पर्व हमें सत्य, धर्म और अच्छाई की ओर प्रेरित करता है।
रावण दशहरे का धार्मिक महत्व
| पहलु | महत्व |
|---|---|
| धार्मिक | भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की। |
| आध्यात्मिक | बुराई से मुक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। |
| सामाजिक | समाज में अच्छाई और नैतिक शिक्षा का संदेश फैलता है। |
| परिवारिक | परिवार के साथ मिलकर उत्सव मनाने से संबंध मजबूत होते हैं। |
| सांस्कृतिक | रामलीला, नृत्य और नाटक के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण। |
दशहरे के लाभकारी पल
रावण दशहरे के दौरान कुछ शुभ और लाभकारी पल माने जाते हैं। इन समयों में पूजा, हवन और दान करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
| लाभकारी पल | शुभ क्रिया | लाभ |
|---|---|---|
| सूर्योदय | भगवान राम की पूजा | मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा |
| दिन का प्रारंभ | रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद की प्रतिमा का दर्शन | बुरी शक्तियों से मुक्ति |
| पूजा समय | मां दुर्गा की विधिवत पूजा | मनोकामना सिद्धि और धन लाभ |
| हवन / यज्ञ | घी, चावल और फूलों से यज्ञ | परिवार में सुख-समृद्धि |
| दान | गरीबों और जरूरतमंदों को दान | पुण्य और सामाजिक भलाई |
रावण दशहरे की पूजा विधि
चरण 1: सफाई और सजावट
- पूजा स्थल और घर की सफाई करें।
- दीपक, फूल और रंगोली से सजावट करें।
चरण 2: संकल्प और मंत्र
- मानसिक रूप से संकल्प लें।
- रामायण या प्रमुख मंत्रों का जाप करें।
चरण 3: पूजा सामग्री
- रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद की प्रतिमा
- मां दुर्गा की मूर्ति
- घी, धूप, कपूर और नैवेद्य
चरण 4: हवन / यज्ञ
- हवन कुंड में घी, चावल और औषधियों का यज्ञ करें।
- परिवार के सुख-समृद्धि और रोग-व्याधि से मुक्ति की प्रार्थना करें।
चरण 5: दान
- गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र या अन्य सामग्री दान करें।
- इससे पुण्य लाभ और सामाजिक भलाई प्राप्त होती है।
दशहरे का सामाजिक और आर्थिक महत्व
| क्षेत्र | महत्व |
|---|---|
| सामाजिक | परिवार और समाज में मेल-जोल बढ़ाना, बच्चों को नैतिक शिक्षा देना |
| आर्थिक | बाजार और वाणिज्यिक गतिविधियों में वृद्धि, स्थानीय व्यापार को लाभ |
| सांस्कृतिक | नृत्य, नाटक और रामलीला के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण |
| पर्यावरण | रावण प्रतिमा निर्माण में लकड़ी और कागज का उपयोग, पर्यावरणीय जागरूकता |
दशहरे पर मनोकामना सिद्धि
रावण दशहरे के शुभ समय में निम्न उपाय करने से मनोकामना सिद्धि होती है:
- सूर्योदय या संध्याकाल में पूजा करें।
- मंत्र जाप जैसे:
- “ॐ श्री रामाय नमः”
- “ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः”
- हवन और यज्ञ में घी, चावल और फूल अर्पित करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
ऐसा करने से आर्थिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
दशहरे के शुभ मुहूर्त
| समय | शुभ क्रिया | लाभ |
|---|---|---|
| प्रातः 6:00 – 8:00 | सूर्योदय पूजा | मानसिक शांति और ऊर्जा |
| प्रातः 9:00 – 11:00 | रावण प्रतिमा दहन | बुरी शक्तियों से मुक्ति |
| दोपहर 12:00 – 2:00 | हवन और यज्ञ | परिवार में सुख-समृद्धि |
| संध्याकाल 4:00 – 6:00 | मां दुर्गा की पूजा | मनोकामना सिद्धि |
दशहरे के रोचक तथ्य
- रावण दशहरे का त्योहार भारत के सभी राज्यों में मनाया जाता है।
- उत्तर भारत में रामलीला और रावण दहन प्रमुख रूप से आयोजित होते हैं।
- दक्षिण भारत में दशहरे को विजयादशमी के रूप में शस्त्र पूजन के साथ मनाया जाता है।
- दशहरे के दिन बच्चों और युवाओं को नैतिक शिक्षा और मनोरंजन मिलता है।
लाभार्थियों और लोगों के अनुभव
- किशोरी शर्मा, दिल्ली: “रावण दहन देखकर बच्चों को धर्म और नैतिकता समझाई।”
- सुमित्रा देवी, बिहार: “पूजा और हवन करने से घर में सुख-शांति बढ़ी।”
- रामकुमार, उत्तर प्रदेश: “समाज में मेल-जोल और सहयोग बढ़ाने का अवसर मिला।”
आधिकारिक लिंक और जानकारी

रावण दशहरे केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शिक्षा का अवसर है।
- बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
- परिवार और समाज में मेल-जोल बढ़ाना
- दान, पूजा और हवन से पुण्य लाभ
- मनोकामना सिद्धि और सुख-समृद्धि
इस पर्व को मनाकर हम सकारात्मक सोच, नैतिक शिक्षा और सामाजिक भलाई को बढ़ावा देते हैं।
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